शबनम कि बरसी बुँदे
कोमल कोमल फुलोंपे !
शबनम ने फूलोंसे पूछा
जरा एक बात तो बता
तुम इतने नाजुक कैसे
माशूका के होंठोके जैसे?
इतना सुखद स्पर्श तुम्हारा
जानेका अब नहीं मन मेरा !!
फूलने पंखुड़िया सिमटी
जैसे कोई दुल्हन शरमाई
थोडा सा इतराके ,थोडा सा मुस्कुराके
फूल बोला अपने अधरों को हिलाके
छन से आके गिरे तन पे मेरे
सोचा नहीं क्या हाल होंगे मेरे?
बूंद ने कहा फूल से
मेरे तुझपे गिरने से
सुंदरता तेरी निखरी
कोमलता तेरी चमकी
फूल बोला शबनम से
क्षणीक तेरी हस्ती है
सूरजके निकलते ही
ख़तम ये आशिकी है
बूंद बोला फूल से जितनी ख़ुशी मिलती हैं
बटोर लो उसको तुम छोटीसी जिंदगीमें !
आज , अभी इसी क्षण जी लो जी भरके
कल कि चिंता छोडो कल किसने देखा है
तुषार खेर
कोमल कोमल फुलोंपे !
शबनम ने फूलोंसे पूछा
जरा एक बात तो बता
तुम इतने नाजुक कैसे
माशूका के होंठोके जैसे?
इतना सुखद स्पर्श तुम्हारा
जानेका अब नहीं मन मेरा !!
फूलने पंखुड़िया सिमटी
जैसे कोई दुल्हन शरमाई
थोडा सा इतराके ,थोडा सा मुस्कुराके
फूल बोला अपने अधरों को हिलाके
छन से आके गिरे तन पे मेरे
सोचा नहीं क्या हाल होंगे मेरे?
बूंद ने कहा फूल से
मेरे तुझपे गिरने से
सुंदरता तेरी निखरी
कोमलता तेरी चमकी
फूल बोला शबनम से
क्षणीक तेरी हस्ती है
सूरजके निकलते ही
ख़तम ये आशिकी है
बूंद बोला फूल से जितनी ख़ुशी मिलती हैं
बटोर लो उसको तुम छोटीसी जिंदगीमें !
आज , अभी इसी क्षण जी लो जी भरके
कल कि चिंता छोडो कल किसने देखा है
तुषार खेर