प्रभुके चरणों में ये प्राण निकले तो क्या बात है!
दिये की तरहा अगर हम जले तो क्या बात है!
जिंदगीभर तूने साथ मेरा दिया है हमदम, पर
तेरे हाथों गर कफ़न भी मिले तो क्या बात है!
काली बिल्ली चाहे उसका रास्ता काट जाये,
वो अचानक वापस आ जाएं तो क्या बात है!
उसके आने की ख़ुशी में कहीं मर न जाऊं यारों
थोड़ा रंज-ओ-ग़म भी मिल जाएँ तो क्या बात है!
तुषार खेर
दिये की तरहा अगर हम जले तो क्या बात है!
जिंदगीभर तूने साथ मेरा दिया है हमदम, पर
तेरे हाथों गर कफ़न भी मिले तो क्या बात है!
काली बिल्ली चाहे उसका रास्ता काट जाये,
वो अचानक वापस आ जाएं तो क्या बात है!
उसके आने की ख़ुशी में कहीं मर न जाऊं यारों
थोड़ा रंज-ओ-ग़म भी मिल जाएँ तो क्या बात है!
तुषार खेर