मेरी हिंदी कवितायेँ
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MAJHYA MARATHI KAVITA
Saturday 14 February 2015
कहे सकू तो कहूँ
लो करता हूँ कोशिश, कहे सकू तो कहूँ
सही अल्फाज़ गर मिल जाये,
तो कहूँ
हर किसिको बताने की तो ये बात नहीं,
कोई दिल से
अगर
सुनना चाहे
तो कहूँ
तुषार खेर
Thursday 12 February 2015
थक गया हूँ मैं !
वक्त-बेवक्त उठते हुए गुबार से थक गया हूँ मैं,
किनारा हूँ आती जाती मौजोसे
थक गया हूँ मैं !
न जीने की ख्वाइश है, ना ही मरने का डर,
बेवजह चल रही साँसो से
थक गया हूँ मैं !
कबसे माफ कर चुका हूँ उस बेवफा के गुनाह को.
फिर भी आ रही उसकी सफाई से
थक गया हूँ मैं !
राज़ आ जायेंगे मुझे मेरे आंसू और मेरी तन्हाई
मेरे अपनों से मिल रही हमदर्दी से
थक गया हूँ मैं !
तुषार खेर
Wednesday 4 February 2015
क्या करें?
मन मर जाए मौतसे पहले तो क्या करें?
दर्द-ए-दिल हद से गुजर जाएँ तो क्या करें?
आँख से आंसू निकल जाएँ तो क्या करें?
संयम मनपे न रहे तो क्या करें?
नज़र में उनकी छायी है मदहोशियाँ
दिल बे-काबू हो जाएँ तो क्या करें?
दर्द-ए-दिल मौत की वज़ह बने मुमकिन नहीं
बेपनाह ख़ुशी से गर मर जाएँ तो क्या करें?
तुषार खेर
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