Friday 29 August 2014

चुपकेसे

मैंने उसे देखा चुपकेसे
उसने मुझे देखा चुपकेसे

नजरें मिली चुपकेसे
तीर चले चुपकेसे

दिल धड़का  चुपकेसे
प्यार हुआ चुपकेसे

फूल खिला चुपकसे
भंवरा आया चुपकेसे

बात आगे बढ़ी चुपकेसे
शादी भी हुई चुपकेसे

तुषार खेर

Friday 22 August 2014

जिन्दा हूँ

मौत  आती नहीं    इस लिए  जिन्दा हूँ
साँसे  चल रही  इस लिए  जिन्दा हूँ

लगता था अब कोई उम्मीद बाकी नहीं
जान अटकी  रही इस लिए  जिन्दा हूँ

हासिल  थी  जिंदगीमें   खुशियाँ सारी
ख्वाईश गम की रही इस लिए  जिन्दा हूँ

दोस्ती, यारी, मुहोबत, वफादारी सब मिली
बेवफाई बाकी रही इस लिए  जिन्दा हूँ

नज़रें  मिली, यारसे गुफ्तगू भी हुई
खत की चाह  रही, इस लिए  जिन्दा हूँ

मुश्किलें,उलझने और  गम   खजाना !
प्यार की   डोर  रही इस लिए  जिन्दा हूँ
 
तुषार खेर