Wednesday 17 December 2014

एक शेर पेशावर

कौन कहता  है आतंकवादी धर्म के नाम पे मारते है ?
अब तो वो अपने मजहब के बच्चों  को भी मारते है!

तुषार खेर


त्रिवेणी

वक्त के साँचें में ढलता  जा रहा हूँ
दुनियां में आगे बढ़ता  जा रहा हूँ

मेरे ज़मीर को मैं खोता जा रहा हूँ

तुषार खेर



Tuesday 16 December 2014

वक्त

जो वक्त के साथ खुदको बदलेगा
उसका अच्छा वक्त जरूर आएगा!

वक्त कभी अच्छा तो कभी बुरा आएगा
मुझे राज़ आया,  आपको भी  आएगा!

सुख का वक्त हो या हो दुःख का
एक जायेगा और दूसरा आएगा !

आज तेरा है माना, कल  मेरा भी जरूर आएगा
सही वक्तपे हर एक का अच्छा वक्त आएगा!

इंसान को चाहिए की वकत से डरता रहे
कया जाने कब किसपे कैसा वक्त आएगा!

तुषार खेर 

Saturday 6 December 2014

गम के सायें

वो ज़ख्म अब तक नहीं  भरे
जो मेरे अपनों से  मुझे  मिले

वो फासले अब तक नहीं मिटें
जो तेरे  बिछड़ने से मुझे  मिले

वो गम के सायें नहीं मिटें
जो तेरी  खुषी से मुझे  मिले

जन्म-मरण के चक्र  नहीं छूटे,
जो मेरे  कर्मों से मुझे मिले

Tushar Kher