जो तुम्हे दे वो मुझे वरदानमेँ
मानने लगु मैं भी भगवानमेंं ।
दिल का रोना कौन देख पाता है
आँख टपके तो बात आये ध्यानमें ।
खंजर छुपाये क्यों घुमते हो दोस्त
मांग लेते, तो जान दे देता दानमें ।
बंदगी में कैसी आई नात -जात
क्या फर्क है श्रावण और रमजानमें?
आँख मिचोली मत खेल मौत तू
हिम्मत है तो आ आज मैदानमें ।
याद में तेरी अभी तक जल रहा
देख ले आके तू चिता समशानमें. !
तुषार खेर
मानने लगु मैं भी भगवानमेंं ।
दिल का रोना कौन देख पाता है
आँख टपके तो बात आये ध्यानमें ।
खंजर छुपाये क्यों घुमते हो दोस्त
मांग लेते, तो जान दे देता दानमें ।
बंदगी में कैसी आई नात -जात
क्या फर्क है श्रावण और रमजानमें?
आँख मिचोली मत खेल मौत तू
हिम्मत है तो आ आज मैदानमें ।
याद में तेरी अभी तक जल रहा
देख ले आके तू चिता समशानमें. !
तुषार खेर