जी करता है सब कुछ समेट लूँ
पर जिदगी को कैसे समेट लूँ ?
अगर तू समा जाए मुझमें
तो मै बहुत कुछ समेट लूँ !
बहुत फासलें है हमारे दरमियाँ
तूम कहो तो थोडा समेट लूँ !
फ़ैल जाऊं मैं पूरी दुनियांमें या
दुनियां को मुझमें समेट लूँ ?
मैं अकेला, आस पास कोई नहीं
तन्हाईको भला कैसे समेट लूँ ?
तुषार खेर
पर जिदगी को कैसे समेट लूँ ?
अगर तू समा जाए मुझमें
तो मै बहुत कुछ समेट लूँ !
बहुत फासलें है हमारे दरमियाँ
तूम कहो तो थोडा समेट लूँ !
फ़ैल जाऊं मैं पूरी दुनियांमें या
दुनियां को मुझमें समेट लूँ ?
मैं अकेला, आस पास कोई नहीं
तन्हाईको भला कैसे समेट लूँ ?
तुषार खेर