मैंने तो माँगा था दुआ में तुमको खुदा से ओ सनम
खुदा ने मेरी दुआ कुबूल नहीं की तो मै क्यां करूँ?
मैंने तो तदबीर में कोई कमी ना छोड़ी थी ओ सनम
तकदीर ने तदबीर का साथ न दिया तो मै क्या करू?
मैंने तो सिर्फ गुलाबों का बागान लगाया था ओ सनम
गुलाब के साथ कांटें भी निकले तो मै क्यां करूँ?
पूर्णमासी के चाँद की रौशनी में भी मै खुश था सनम
पूर्णमासी के रात के बाद भी पौ फाटे मै क्यां करूँ?
मै जिन्दगी के हर पहेलु का मजा ले रहा था सनम
जिन्दगी सिर्फ चार दिन की निकली तो मै क्यां करूँ?