Wednesday 19 December 2012


तन्हाई से दोस्ती  कर ली
अकेलेपन पे मात कर ली

पलकों का बोज सहे नहीं पा रहे थें
आंसुओ के लिए  हमने  राह   कर दी

जी रहा हूँ

डर डर के जी रहा हूँ 
मर मर के जी रहा हूँ 

दोस्तों ने दगे दिए 
माफ़ करके जी रहा हूँ 

झेले गम के कई मौसम 
फिरभी हसके जी रहा हूँ 

टुटा दिल और टूटे कई सपनें 
नए सपनों के साथ जी रहा हूँ 

तुम तो छोडके चले गए 
तुम्हारी यादमें जी रहा हूँ 

सुख दुःख तो आवें जावें 
यही सोच के जी रहा हूँ 

जीने की कोई राह दिखती नहीं 
भगवान् भरोसे जी रहा हूँ 



Sunday 16 December 2012

लम्हा लम्हा


लम्हा लम्हा सिसक रही है मेरी जिन्दगी 
जाने कैसे कहेते है वो खुबसूरत है जिन्दगी 
                        ***

एक जमाना बित  गया, गम ने मुहं मोड़े  हुए 
हमने पेन उठाये हुए, और शेर लिखे हुए 

                        ***


मैं जब उसके ख्वाब में गया , वो किसी और के ख्वाब में गयी थी 
या तो ये मेरी तक़दीर का दोष था,  या  उसके गुस्ताखी की हद थी 


अश्कों के जाम

अश्कों के जाम पी लेता हूँ 
मैं गम को जीत लेता हूँ 

तन्हाई जब हद से बढ़ जातीं हैं 
खुदसे थोडा बतियाँ लेता हूँ 

जब अपने भी पराये से लगते हैं 
मैं  गैरों को आजमन लेता हूँ 

जब भी ये दिल उदास होता हैं 
मैं  तुमको याद कर लेता हूँ 

जब मुश्किलें सुलझा नहीं पता हूँ 
परवर दीगर की शरण ले लेता हूँ 

Wednesday 5 December 2012

आदमी


कभी ऐसी एकाद गलती कर बैठता है आदमी
अपनी सारी  इज्जत पल में गवाँ   देता है आदमी

प्यार के बदले में भी कभी प्यार मिलता है?
धीरे धीरे ये बात भी जान लेता है आदमी

जैसे ही पुराने जख़म भरने लगते है
नए दर्द-ऐ-दिल पाल लेता है आदमी

स्वार्थ में अँधा हो कर, अपने  होश गवाँ  कर
अपनेही साथियों का गला काट देता है आदमी

काहेको ऐसे कडवे   सत्य कहे देते हो जनाब ?
नाहक में मन को दुखी कर लेता है आदमी

Sunday 2 December 2012

मै क्यां करूँ?


मैंने तो माँगा था दुआ में तुमको खुदा से ओ  सनम
खुदा ने मेरी दुआ कुबूल नहीं की तो  मै क्यां करूँ?

मैंने तो तदबीर में कोई कमी ना छोड़ी  थी ओ  सनम
तकदीर ने तदबीर का साथ न दिया तो मै क्या करू?

मैंने तो सिर्फ गुलाबों का बागान लगाया था ओ सनम
गुलाब के साथ कांटें  भी  निकले तो  मै क्यां करूँ?

पूर्णमासी  के चाँद की रौशनी में भी मै  खुश था सनम
पूर्णमासी  के  रात के बाद भी पौ फाटे मै क्यां करूँ?

मै   जिन्दगी के हर पहेलु का मजा ले रहा था सनम
जिन्दगी सिर्फ चार दिन की निकली तो मै क्यां करूँ?

Thursday 29 November 2012

लग जा गले

कैसे जिउं मैं 
तेरे बिना बलमा 
ये तो बता जा 

    xx  

लग जा गले 
कुछ राहत मिलें 
दिल को मेरें 

   xx

नैनों के रस्ते 
दिल में उतर जा 
वहीँ बस जा 

   xx

Wednesday 28 November 2012

चुनाव जो है आये


जिनकी तसवीरें सिर्फ अखबार में देखते थे
वो ही नेता आज मेरे द्वार पे हैं दिखें
चुनाव जो है आये

जिनको संसद में चुप चाप बैठे हुए देखते थे
वो ही नेता स्टेज पर दहाड़ते हुए हैं दिखें
चुनाव जो है आये

जिनको अब तक जनता को लुटते हुए देखते थे
वो ही नेता  आज जनता में पैसे लुटाते हुए हैं दिखें
चुनाव जो है आये

जिनको भ्रष्ट्राचार के दल दल में फसे हुए देखते थे
वो ही नेता दूसरों  पे  कीचड़ उछालते हुए हैं दिखें
चुनाव जो है आये

जिनको जनता की हर मांग को ठुकराते हुए देखते थे
वो ही नेता आज उसी जनता से मत मांगते हुए दिखें
चुनाव जो है आये


Monday 26 November 2012

मुझे दिखें

गैरों में और अपनों में ज्यादा फर्क न दिखें 
जिन्दगी में कुछ ऐसे तजुरबें  है मुझे दिखें 

बहुत दिनों बाद महेफिल में दोस्त पुराने दिखें 
बड़ी मुश्किल् से वो दोस्ती निभाते मुझे दिखें 


'हम ही जीतेंगें' ये  कहेते हुए कई राज नेता दिखें  
जनता से भीख में मत मागते वोही नेता  मुझे दिखें  

महेफिल में कुछ हस्ते हुए खुशनुमा चहेरे दिखें 
अकेले में मगर वोही चहेरे आंसूं बहाते  मुझे दिखें 


बहुतसे बुज़ुर्ग लम्बी जिंदगानी जीते दिखें 
मौत से मिलने को तरसते वो मुझे दिखें 

Saturday 24 November 2012

खाते है

कोयले की दलाली में सुना था हाथ  काले होते  है
मगर  उसमें आपके बैंक बैलेंस तगड़े हो जाते है

सुना है लोग पेट भरने के लिए दाल रोटी खाते है
मगर कुछ नेता यहाँ पे घास चारा भी खा जाते है

Tuesday 20 November 2012

कौन चाहता है


कौन चाहता है  यूँ जिन्दगी से खेलना
ये जिन्दगी ही मुझसे खिलवाड़ कर रही है 

कौन चाहता है  यूँ तक़दीर से उलझाना
तक़दीर ही मुझसे बार बार उलझ रही है 

कौन चाहता है  यूँ चौकट पे सर झुकाना
कोई ताकत मुझे बार बार झुका रही है 

कौन चाहता है  यूँ मंझिले बदलते रहेना
हर राह मुझे एक नयी मंझिल दिखा रही है 

कौन चाहता है  यूँ   घमंडी बनके  रहेना
हर एक सफलता मुझे मगरूर बना रही है 

कौन चाहता है यूँ इश्क में तनहा रहेना
किसी की बेवफाई मुझे तनहा बना रही है 

कौन चाहता है  इस तराह जिन्दगी जीना
ये जिदगी ही मुझको तिल तिल  मार रही है 

Monday 19 November 2012

वसंत आया : ४ हाइकु


 1

कलियाँ खिली 
गुलशन महेका 
वसंत आया 

     2

वसंत आया 
गुलशन महेका 
मन  बहेका 

     3

हिम्मत कर 
असलियत दिखा 
नकाब हटा 

     4

पढाई करो 
एकाग्रता बढाओ 
सफल बनो 

Saturday 17 November 2012

जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो

बहुत सुना ली दर्द-ऐ दिल की दास्ताँ 
दिलकी खुशियाँ बाँट  कर तो देखो 
जिन्दगी  खुबसूरत है जी कर तो देखो 

बहुत पढ़ लिए पोथी और पुराण 
ढाई अक्षर प्रेम के  पढ़ कर तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

अपनों में बाटीं है सदा तुमने खुशियाँ 
गैरों को अपना बनाकर तो देखो 
जिन्दगी  खुबसूरत है जी कर तो देखो 

बहुत सहे लिए जिन्दगी के तनाव 
बच्चों के साथ बच्चे बन कर तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

चहेरे पे नकाबों का बोझ बढ़ चूका है 
चहेरे से नकाब हटा कर तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

गम को न दो ताकत तुम्हे दुखी करने की 
गम को हस कर गले लगा कर तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

खूबसूरती पे चहेरे की मरके  क्या होगा?
किसी के दिल की किताब पढ़ के तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

बहुत नाप ली धरती की लम्बाई और चौड़ाई 
आसमान में अब उड़ान लगा कर तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

मिल जाएगी तुम्हे हर मंजील जनाब 
हौसला बुलंद अपना करके तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

Tuesday 13 November 2012

कुछ शेर


माना  के ये जिन्दगी है चार दिन की 
बहुत होते है यारों, चार दिन भी 

**

जिससे पूछा मैं, के दिल खुश है दुनियां में कहीं ?
रो दिया उसने और कहा के, कहते हैं ऐसे 

**

साथ में हो तो प्रेम करो 
एकांत में हो तो ध्यान करो 

**

मई अब भी सोच रहा हूँ के तुम्हारी तरह 
बेचकर खुदको ये बाज़ार ख़रीदा होता 

**

लायी हयात आये क़ज़ा ले चली चले 
अपनी ख़ुशी न आये न अपनी ख़ुशी चले 




जला दीपक


जला दीपक
अँधेरे को मात दी
फैला उजाला

चारों तरफ
अन्धकार है छाया
कब सवेरा?


धरा बिस्तर

आसमान की छत
मतवाला मैं 

Monday 12 November 2012

मेरे हाइकु


1.

मन लाचार 
मोह माया का जाल 
मोक्ष दुश्वार 

2.

चलते रहो 
आगे बढ़ते रहो 
मंजिल पाओ 


हौसला रख 
हिम्मत मत हार 
राहें कठिन 

4.

लढता  रहा 
आखरी दम तक 
जीने के लिये 

Sunday 11 November 2012

हाइकु:


मन उदास
पिया का मिले साथ
फिर खिलेगा

Saturday 10 November 2012

आधुनिक जिंदगी

outdated  हो गयी जिंदगी 
सपने भी download  होते नहीं 
दया भाव को virus लग गया 
दुःख Send  कर  सकते नही 

पुरानी  यादें गायब है 
delete हुई  files की तराह 
घर बिलकुल शांत है 
out of  range mobile की तराह 

इक्कीसवी सदी के बच्चे 
है बिलकुल cute 
contact  list  बढ़ रही है 
संभाषण है mute 

विज्ञान की गुलामगिरी में 
ये कैसी हो गयी चूक 
खून के रिश्ते निभानेके लिए भी 
जरूरी हो गयी Facebook  

Friday 9 November 2012

दिवाली

 रंगीन खुशियों की
 बहार है  दिवाली 
प्रेम और उल्हास का 
त्यौहार है दिवाली 

दीप की रोशनि से 
अँधेरा मिटाना है 
सबको गले लगाके 
प्यार बाटना है 
मिठाइयां खिलाके 
खुशियाँ बढ़ाना है 
 गिफ्ट  बांटके अपनों  को 
 खुशहाल बनाना  है 

आओ खुशियाँ बाटें 
दिवाली मनाएं 
दिए जलायें 
अँधेरा मिटायें।

Wednesday 7 November 2012

जब कोई नहीं समझता मेरी जुबान यहाँ
कैसे करूँ मै अपने दिलकी बातें बयाँ 

दीपावली

काली अँधेरी अमावस की है रात 
दीप की रौशनी ने उसे दी है  मात 

एक दीप गरीब के घर भी जले आज 


Tuesday 6 November 2012

तस्सवुर

श्याम होते ही उनका तस्सवुर दिल को छू जाता हैं 
मुझे उसकी मौजूदगी का अहेसास दिला जाता हैं

इलाज

वो नही तो क्या , उनकी याद तो है मेरे पास 
मेरे तन्हाई का कोई तो इलाज तो है मेरे पास

गलतफहेमी


गए थे दूर, "उनके कितने पास हैं" जानने के लिए हम
पता चल गया कैसी कैसी गलतफहेमी पालते थे हम  

“वफ़ा करेंगे, निभाएंगे, बात मानेंगे” कहते थे आप हरदम
पर वो किसी और के लिए था, ये कहाँ जानते थे हम

जिन्दगी की तराह आपको  अब भी प्यार करते है हम
‘मै आपका प्यार नहीं’ ये सच जानकर भी टालते थे हम

“‘वो महेलों की राजकुमारी तुम्हे नहीं मिलेगी”’ सुनते थे हम  
पर आप मेरी तक़दीर में नहीं, ये बात कहाँ मानते थे हम 

Sunday 4 November 2012

वक्त का तकाजा

मौत उठा लेती मुझे उसकी क्या औकात थी?
मैंने देखा, जिन्दगी ने भी इशारा कर दिया था 

इन बुलंदी को छुं लूँ, इतना कहाँ मैं  होनहार था 
वो तो मेरी तदबीर को तकदीर का सहारा था 

हर कोई छोड़ के चल दे इतना मैं नाकारा नहीं था 
कुछ दोस्तों की बेवफाई तो कुछ वक्त का तकाजा था 

Saturday 3 November 2012

चल जिन्दगी मौत को जीना सिखलाए !


जिन्दगी क्या होती है उसको बतलाए,
चल जिन्दगी मौत को जीना सिखलाए !

जब भी ये आती है सबको रुलाती है,
चल इसे दूसरों को हँसाना सिखलाये! 

दबे पाँव ये चुपके से रुजू हो जाती है,
इसे दरवाजे पे दस्तक देना सिखलाएँ !

कमजोर लाचार इंसानों को ये हरा देती है,
इसे कमजोरों का हौसला बढ़ाना सिखला दे! 

जब ये  आये  , इसे  ख़ुशी से गले लगा ले,
'अतिथि देवो भव' ये   भी सिखला दे उसे!

Friday 2 November 2012

अपनापन


गैरों में कहाँ था इतना दम
दिलको हमारे दे पाते गम .
तेरी जुदाई करती है आँखें नम
तुझे अपना जो माने है ये मन.
मेरी आँखें फिरसे ना हो नम
सदा रहे हममें ये अपनापन.

Thursday 1 November 2012

मन की मन ही में रहे गयी

अल्फाज़ की जुबान कुछ और कहे गयी
बात मेरे मन की तो मन ही में रहे गयी

सुंदर चहेरा देख के नजर उसिपे ठहर गयी
मन को पढ़ पायें , वो चश्म  कहाँ रहे गयी  

गुड़  सी मीठी बोली उसकी कुछ और कहे गयी
मनके अंदरकी कटुता जाने कहाँ रहे गयी?

चहेरे पे हँसीं की चिलमन चमकती रहे गयी
दर्द-ऐ -दिलकी दास्ताँ , न जाने किधर रहे गयी

जिन्दगी की राह -ऐ-गुजर में नई राहें  मिलती गयी
जिस मंजिल की चाह  थी, वो जाने कहाँ रहे गयी?

Wednesday 31 October 2012

मधु का प्याला


जिंदगी के गम इस कदर बढे
दिल पे न रहा काबू हमारा
हाल जब हुआ बेहाल हमारा
थाम लिया हमने मधु का प्याला।

शाम को आनेका था वादा उनका
मगर कब तक करते इंतज़ार उनका
जब लगा की अब न होगा दीदार उनका
थाम लिया हमने मधु का प्याला।

दिल जिस वक्त टूटा हमारा
न निकली आह न हुआ हंगामा
न रुकी जब आँसूओं की धारा
थाम लिया हमने मधु का प्याला।

दिल हो गया है लहू लुहान
न ये चाह की तन में रहे प्राण
अब हमें चाहिए विष भरा प्याला
किस काम का ये मधु का प्याला?

हैरान


जिन्हें हम समझते थे 'खास'
उन्होंने कहे दिया आप है 'आम'
बस इतनी सी थी बात
और हो गए हम हैरान!

Tuesday 30 October 2012

याद सताए


कोयल कुहू-कुहू करने लगी
सावन के दिन आए
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।

सूरज बादलों के संग में
लूपा छुपी खेले
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।

शीतल मंद पवन की लहेरें
इस तन मन को सहेलायें
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।

पहेले बारिश की बौछारें
मिटटी की सौंधी सुगंध फैलायें
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।

उसको भुलाना होगा


तुझे उसको भुलाना होगा
सुन ले तू ऐ मेरे दिल।
तेरे साथ नही धड़कता
अब तेरे उस यार का दिल।

नही ला पाती तेरी हँसी
अब उसके चहेरे पर हँसी ।
तेरे आंसू देख के भी अब
नही रोता उसका दिल।

नही देता है अब वो
तेरे ख़त के जवाब भी,
फिर भी क्यूँ लिखना चाहे
तू उसको ख़त, ऐ दिल?


नही चाहता हैं अब वो
तुझसे करना बातें भी,
नही सुनना चाहता हैं अब
वो तेरा हाल-ऐ दिल।

भूलना वो चाहता हैं अब तुझे
ये तू मान भी जा।
किसी और का हो चुका
अब तो तेरे यार का दिल।

तुझे उसको भुलाना होगा
सुन ले तू ऐ मेरे दिल।
तेरे साथ नही धड़कता
अब तेरे उस यार का दिल।

Monday 29 October 2012

याद आओगे


कल तुम चले जाओगे,
हमें याद बहुत आओगे।
जब न रहोगे आसपास,
मेरे दिलको रुलाओगे।

तुम्हारी प्रगति के लिए,
अच्छे भविष्य के लिए,
बहेतर जिन्दगी केलिए,
कल तुम चले जाओगे,
हमें याद बहुत आओगे।

तुम्हे वो सब मिले,
जिसकी तुम्हे कामना हो।
तुम्हारे हर सपने,
हर ख्वाब पुरे हो।
तुम्हारा भविष्य
और उज्वल हो।
तुम्हारे हाथो में
हमेशा सफलता हो।

हम ये दुआ करते रहेंगे,
जब जाने के बाद, तुम
हमें याद बहुत आओगे।

तेरी दुनिया से आए है.


तेरी दुनिया से जरूर आए है,
हम न कोई चोर, न ही डाकू है।
उस दुनिया की एक भी चीज़
हम अपने साथ नही लाये है।
सुन ले तू, ओ दुनिया के मालिक
अरे जिसे हम साथ ले कर गए थे,
वो सोने सा देह भी
हम वहीं पर छोड़ आए है।

Sunday 28 October 2012

पूरा चाँद

आज पूर्णमासी को गगन  में दीखता है पूरा चाँद
 कभी मै महेबूब का चहेरा देखू  और कभी पूरा चाँद 

दो दिनसे भूखे गरीब बच्चे को  रोटी सा दिखे पूरा चाँद 

मौत के बाद


जिन्दगी भर जलाके इनको चैन कहाँ?
मेरे शब् को जलाने के लिए  
देखो कितने  लोग आये है यहाँ.

पूरा शब् जलने तक इनको करार कहाँ?
जब तक राख न हो जाऊं 
कुछ लोग जरूर रुकेंगे यहाँ.

नाम-ओ निशान मिटाएँ बगैर इनको आराम कहाँ?
मेरी अस्थियाँ गंगा में बहाने 
कल फिर  यही  लोग आयेंगे यहाँ. 

Saturday 27 October 2012

ख्वाब


ख्वाब में तुम मिलोगी 
ये ख्वाब में भी न सोचा था
जिस ख्वाब में तुम आई
वो ख्वाब मैंने ख्वाब में देखा था

अहेसास

अब चाहे शौख से मुझे क़त्ल कर दो यारों
मै  तो अपनी जिन्दगी जी चूका यारों.

मै अपनी इस जिन्दगी का क्या करूँ यारों
जीने का अहेसास तो कबसे मर चूका यारों.

अब चाहे इस गुल को शाख से तोड़ दो यारों
वो अपनी खुश्बू गुलशन में फैला चूका यारों.

तेज होने दो अब रंज-ओ-गम की बारिशें यारों
ये दिल तो कबका पत्थर बन चूका यारों.

अफासानें  अपनों के  रंज-ओ-गम के  न सूनाओ हमें
अश्कों का समंदर तो कबका सुख चूका यारों.

इस जिस्म को अब शौख से जला दो यारों
ये घर तो मै कबका छोड़ चूका यारों.

Friday 26 October 2012

आइना


मेरे पास एक आइना था,
जिसमें मै ख़ुद को देखता था.
कपडों और चहेरे के दाग दूर कर के,
सुंदर मैं बन जाता था।

एक दिन जब मै आईना देख रहा था,
अचानक वो टूट गया , टुकडों में वो बट गया।
मेरा दिल भी टूट गया , क्या करूँगा मै अब
सोचकर मै वहाँ से चलने लगा।

तभी उन टुकडो ने कहा
"हमारी तरफ तो देखो जरा"।
मैंने देखा तो हर टुकडें में,
मै,वैसा ही सुंदर दिख रहा था।

फिर मै ये सोचने लगा
जब कोई दिल तोड़ता है
और दिल टुकडों में बंट जाता है
तब भी क्या दिल के हर टुकड़े में
वो बेवफा सनम भी उतना ही सुंदर
दिख पाता है?

दिल को शीशा कहने वालो ने
कभी इस फर्क के बारें में सोचा है?

जुदाई


ये दुनिया समजती है ,
की हम दोनों अलग हो गये है।
इन्हे कैसे समझायें,
की हम दूर रहकर भी कितने पास है?
आपके ह्रदय सागर की लहेरें,
मेरे मन के किनारे भिगोती है।
आपकी धुपबत्ती की खुशबू ,
मेरी सांसो में भर जाती है।
आपके महल में जलता दिया ,
मेरी झोंपडी को रोशन करता है।
लोग कहेते है जुदाई में,
मेरे होठ फिक्के पड़ गये है।
वो क्या जाने की ,
जब आप मुझे चूमना चाहते है ,
मेरे होठों की लाली
आपके होठों तक पहुँच जाती है।
ये दुनिया समजती है ,
की हम दोनों अलग हो गये है।
इन्हे कैसे समझायें,
की हम दूर रहकर भी कितने पास है?

Thursday 25 October 2012

गम


गम इस बातका नहीं है मुझे की चश्मों  से अश्क बहते है
गम इस बात का है की आस्क पोंछने वाला कोई नहीं

होले होले


ये क्या होने लगा है मुझे
की तू  खुबसूरत लगने लगी
होले होले; होले होले

तू  आने से पहेले ही
तेरी  आहट आने लगी
होले होले; होले होले

तेरे दर से गुजरते वक्त
चाल हो जाती  मेरी मद्धम
होले होले; होले होले

तुझसे नज़र चुराते चुराते
देख लेता हूँ तुझे चुपकेसे
होले होले; होले होले

कोई समझे या ना समझे
मेरा प्यार तू समझ लेना
होले होले; होले होले

 ना समझ पाई तू प्यार मेरा
तो जीते जी मर जाऊंगा मैं.
होले होले; होले होले

Wednesday 24 October 2012

नामुमकिन नही

तेरे बगैर जिंदगी जीना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही 

टूटे दिल का इलाज करना....
मुश्किल है, नामुमकिन नही

तेरी यादों को भुला पाना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही

तेरी जगह, किसी और को देना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही

आँसुओं को आंखों में रोकना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही

चहेरे पर झूठी हँसी लाना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही

तेरी खुशी के लिए इतना करना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही

हर मुश्किल को आसां करना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही


नामुमकिन को मुमकिन करना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही


मन करता है


कभी कभी तनहा रहने का मन करता है
किसी से न कुछ कहने का मन करता है
दिल में जब तेरी याद बस जाती है
बस उन लम्हों को जी लेने का मन करता है

Tuesday 23 October 2012

जिंदगानी


याद है मुझको, एक दिन, मेरे घर भी आई थी वो
दिल में उमंग और मन में ख़ुशी भर गई थी वो

मनमें शीतलता और दिल में धड़कन भर गई थी वो
मेरी आँखों को सपनो की महेफिल जैसे दे गई थी वो

सबकुछ अच्छा लग रहा था, मन मयूरा नाच रहा था
नया कुछ करने का हौसला, मेरे मनमें गई थी वो

पिछले कुछ दिनोसे वो मुझसे न जाने क्यूँ  रूठी हुई है
ठोकर पे ठोकर खाके मेरी  हालत बुरी हुई है 

 हें भगव मेरी एक अर्ज सुन ले, और कुबूल कर ले 
मेरी जिंदगानी को एक बार फिरसे मेरे घर भेज दे

गुफ्तगुं


गर कम में हो हासिल,  तो ज्यादा मत करो बयां ;
अल्फाज़ कीमती हैं आपके, उसे यूँ ही न करो जायां;

गुफ्तगुं में कौन सुने है दुसरें की, हर कोई करता है अपनी बयां.

गम का मौसम


गम-ऐ-दरिया में डूबने का मौसम आया है,
प्यारे दोस्तों से बिछड़ने का मौसम आया है।

यूँ तो प्यार से हमने की है बहुत गुफ्तगू ,
लगता है अब तन्हाईयों का मौसम आया है ।

यूँ तो जिन्दगी ने हमें दी है बेशूमार खुशियाँ
गम से पहेचान करने का अब मौसम आया है।

दोस्तों को अपने गम से क्यूँ दुखी करें नादाँ?
अकेले इस आग में झुलसने का मौसम आया है।

Monday 22 October 2012

बेटी बोली


माँ की कोख से बेटी बोली,
मुझे भी जन्म लेने दे, माई।
मै भी तेरे काम आउंगी,
मुझ पे भरोसा रख तू , माई।

मुझको भी तू भाई की तरह,
स्कूल-कोलेज में भेजना, माई,
पढ़-लिखकर, काबिल बनकर,
पैरों पे अपने खड़ी होउंगी, माई।

कराटे, जूडो, मार्शल आर्ट
सब सीखूंगी भाई के साथ।
अपनी रक्षा ख़ुद करुँगी,
तू मत कर चिंता , माई।

अपने लिए लड़का भी,
तू कहे तो, ख़ुद ही ढुँड लुंगी , माई।
शादी और दहेज़ का खर्चा भी,
अपनी कमाई से जोड़ लुंगी, माई ।

बुढापे में आप और तात,
मेरे घर में रहेना, मेरे साथ,
बुढापे की लाठी बनुंगी,
बिल्कुल सच कहती हूँ , माई।

ये तो सोच तू ,मेरी माई,
सब करे तेरे जैसा, माई,
बेटे जनने के लिए कहाँ से
फ़िर मिलेगी कोई माई?

इसी लिए कहती हूँ ,माई
मुझको भी जन्म लेने दे, माई.

Sunday 21 October 2012

याद

वो नही तो क्या , उनकी याद तो है मेरे पास 
मेरे तन्हाई का कोई तो इलाज तो है मेरे पास

एक शायरी


हे सूर्य, मुझे तेरी दया आती है कभी कभी
देखि है तूने प्रणय की एक रात भी कभी?

Saturday 20 October 2012

चहेरे पे चहेरा

दिल में दबाये गम, 
चहेरे पे झूठी हँसी लिए,
अपने आप को छलता रहा, 
बेदर्द ज़माने के लिए| 

सूरत-ऐ-आइना काफी था 
दिदार-ऐ-दिल के लिए,
किसने कहा था मियां
चहेरे पे चहेरा लगाने के लिए ?

चार दिन जवानी के काफी थे
दास्तान-ऐ-मुहबत के लिए,
क्यूँ मांगी थी दुआ रब से
लम्बी जिंदगानी के लिए ?

रहेमत परवर दिगार की काफी थी 
जिन्दगी की राह-ऐ-गुज़र के लिए 
किसने कहा था मियां,
खुद को खुदा समझने के लिए?

मै समझ नही पा रहा हूँ.


सच नही समझ पा रहा हूँ, सत्व नही समझ पा रहा हूँ

हे रंग-बिरंगी दुनिया, मै तेरे रंग समझ नही पा रहा हूँ.

देश-हित के लिए ख़ुद का , और ख़ुद के स्वार्थ के लिए देश बंधुओ का,

खून बहाने वाले, दोनों ही राज नेता क्यूँ कहेलाते,

मै समझ नही पा रहा हूँ.


दोस्त के लिए जो जान दे, वो है सच्चे दोस्त

पर स्पर्धा में खुदके दोस्त का गला काटने वाले दोस्त

मै समझ नही पा रहा हूँ.


समझ सकता हूँ मै, एक दुसरे के होने की इच्छा रखने वाले प्रेमी

परन्तु एक दुसरे को, हमेशा के लिए भूलने वाले प्रेमी,

मै समझ नही पा रहा हूँ.


वैसे तो अपनी लाडली बेटी के लाड ही करती है माँ

परन्तु अपने ही लाडली को जन्म से पहेले ही मार देने वाली माँ


मै समझ नही पा रहा हूँ.


वैसे तो आप्त जनोके दुःख लाते हैं आंखोमें अश्रु

पर उनकी खुशी में भी क्यूँ आखोमे आते है हर्षाश्रु


मै समझ नही पा रहा हूँ. 

सम्हल जा तू


जहाँ भी देखूं धुंधला सा दिखाई देता है

हर अपना अब बेगाना दिखाई देता है.



हर हँसते चहेरे की आँख में आँसू दिखाई देता है

हर इन्सान अब यहाँ झूठा दिखाई देता है.



हर दोस्त के हाथ में खंजर दिखाई देता है

हर इन्सान अब दगाबाज दिखाई देता है.


किसे फुर्सत जो सुने तेरी दास्तान् ए दिल-ऐ नादां

हर कोई यहाँ अपने आप में मशगुल दिखाई देता है.


अब तो सम्हल जा तू, ओ मेरे दिल

गैरों में भी कभी कोई, अपना दिखाई देता है ?

Shayari

दर्द-ऐ-दिल लफ़्ज़ों में बयां करते है
लोग कहते है, हम शायरी करते है.

ग़ज़ल

दर्द-ऐ-दिल से राह-ऐ- गुजर है ग़ज़ल
दर्द-ऐ-दिल से रहत भी है ग़ज़ल

उनका महेफिल में तशरीफ़ लाना है ग़ज़ल
महेफिलसे उठके चले जाना भी है ग़ज़ल

उनका नैनों से नैना मिलाना है ग़ज़ल
चुपके से नज़रें चुराना भी है ग़ज़ल

जान-ऐ-तमन्ना के लिए दिल की तड़प है ग़ज़ल
दिलदार का दीदार होना भी है ग़ज़ल

सांसों का मद्धम चलते रहेना है ग़ज़ल
मौत की बाँहों में मिलती राहत भी है ग़ज़ल

जिदगी का सफ़र तय करे कैसे?



आप की शिकायत आप ही  से  करे कैसे?
जिन्दगी की मुश्किलें आसन करे कैसे?

आँखे तो मनका दर्पण है
हाल-ऐ-दिल छुपाये कैसे?

घुट घुट के जिए है उम्रभर हम 
मनकी बात जुबान से करे कैसे?

लोग सुनके "वाह वाह" करते है
दर्द-ऐ-दिल बयां करे कैसे?

हर गाम एक नया इम्तिहान है
जिदगी का सफ़र तय करे कैसे?