वो ज़ख्म अब तक नहीं भरे
जो मेरे अपनों से मुझे मिले
वो फासले अब तक नहीं मिटें
जो तेरे बिछड़ने से मुझे मिले
वो गम के सायें नहीं मिटें
जो तेरी खुषी से मुझे मिले
जन्म-मरण के चक्र नहीं छूटे,
जो मेरे कर्मों से मुझे मिले
Tushar Kher
जो मेरे अपनों से मुझे मिले
वो फासले अब तक नहीं मिटें
जो तेरे बिछड़ने से मुझे मिले
वो गम के सायें नहीं मिटें
जो तेरी खुषी से मुझे मिले
जन्म-मरण के चक्र नहीं छूटे,
जो मेरे कर्मों से मुझे मिले
Tushar Kher
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