Wednesday, 17 December 2014

त्रिवेणी

वक्त के साँचें में ढलता  जा रहा हूँ
दुनियां में आगे बढ़ता  जा रहा हूँ

मेरे ज़मीर को मैं खोता जा रहा हूँ

तुषार खेर



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