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Showing posts from September, 2016

रोशन

चिता पे जाते जाते ये  ज्ञान हासिल किया  था , मौत ने मुक्ति दे दी, जिंदगी  ने छल  किया था ! ये पथ्थर-दिल दुनिया बिलकुल नहीं बदली थी नाहक ही अपने मन को शब्दों में बयाँ किया था ! तब भी सुनाई थी सबको , मैंने मेरी यही कहानी, मगर तब भी  मैंने   तेरा नाम न जाहिर  किया था ! रिमझिम रिमझिम बारिश, तेरी यादों की हो रही थी , तेरे तस्सवुर  से आबाद मैंने दिलका चमन किया था ! मेरे दिल की शम्मा मैंने पुरे शब् जला राखी थी बुझने तक  मगर ,  महेफिल को रोशन किया था ! तुषार खेर