चिता पे जाते जाते ये ज्ञान हासिल किया था , मौत ने मुक्ति दे दी, जिंदगी ने छल किया था ! ये पथ्थर-दिल दुनिया बिलकुल नहीं बदली थी नाहक ही अपने मन को शब्दों में बयाँ किया था ! तब भी सुनाई थी सबको , मैंने मेरी यही कहानी, मगर तब भी मैंने तेरा नाम न जाहिर किया था ! रिमझिम रिमझिम बारिश, तेरी यादों की हो रही थी , तेरे तस्सवुर से आबाद मैंने दिलका चमन किया था ! मेरे दिल की शम्मा मैंने पुरे शब् जला राखी थी बुझने तक मगर , महेफिल को रोशन किया था ! तुषार खेर