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Showing posts from March, 2017

कर नहीं पाया

अकेले रहेना, कर नहीं पाया | इंसानों से भागना, कर नहीं पाया | चहेरा अभी भी दिल का आइना है, मुखौटा पहेनना, कर नहीं पाया | जो मिला उसीको मुक्कदर समझा है , महेनत को मना कर नहीं पाया | खून पसीने की   खाने की आदत है , मुफ्त की रोटी तोडना , कर नहीं पाया | रोते हुए बच्चों को हसाने की आदत है , रोजाना देव दर्शन, कर नहीं पाया | तुषार खेर    ३०.०१.२०१७