Saturday 11 March 2017

कर नहीं पाया



अकेले रहेना, कर नहीं पाया|

इंसानों से भागना, कर नहीं पाया|



चहेरा अभी भी दिल का आइना है,

मुखौटा पहेनना, कर नहीं पाया|


जो मिला उसीको मुक्कदर समझा है,

महेनत को मना कर नहीं पाया|


खून पसीने की  खाने की आदत है,

मुफ्त की रोटी तोडना, कर नहीं पाया|


रोते हुए बच्चों को हसाने की आदत है,

रोजाना देव दर्शन, कर नहीं पाया|



तुषार खेर    ३०.०१.२०१७

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