Skip to main content

Posts

Showing posts from August, 2014

चुपकेसे

मैंने उसे देखा चुपकेसे उसने मुझे देखा चुपकेसे नजरें मिली चुपकेसे तीर चले चुपकेसे दिल धड़का  चुपकेसे प्यार हुआ चुपकेसे फूल खिला चुपकसे भंवरा आया चुपकेसे बात आगे बढ़ी चुपकेसे शादी भी हुई चुपकेसे तुषार खेर

जिन्दा हूँ

मौत  आती नहीं    इस लिए  जिन्दा हूँ साँसे  चल रही  इस लिए  जिन्दा हूँ लगता था अब कोई उम्मीद बाकी नहीं जान अटकी  रही इस लिए  जिन्दा हूँ हासिल  थी  जिंदगीमें   खुशियाँ सारी ख्वाईश गम की रही इस लिए  जिन्दा हूँ दोस्ती, यारी, मुहोबत, वफादारी सब मिली बेवफाई बाकी रही इस लिए  जिन्दा हूँ नज़रें  मिली, यारसे गुफ्तगू भी हुई खत की चाह  रही, इस लिए  जिन्दा हूँ मुश्किलें,उलझने और  गम   खजाना ! प्यार की   डोर  रही इस लिए  जिन्दा हूँ   तुषार खेर