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जिन्दा हूँ

मौत  आती नहीं    इस लिए  जिन्दा हूँ
साँसे  चल रही  इस लिए  जिन्दा हूँ

लगता था अब कोई उम्मीद बाकी नहीं
जान अटकी  रही इस लिए  जिन्दा हूँ

हासिल  थी  जिंदगीमें   खुशियाँ सारी
ख्वाईश गम की रही इस लिए  जिन्दा हूँ

दोस्ती, यारी, मुहोबत, वफादारी सब मिली
बेवफाई बाकी रही इस लिए  जिन्दा हूँ

नज़रें  मिली, यारसे गुफ्तगू भी हुई
खत की चाह  रही, इस लिए  जिन्दा हूँ

मुश्किलें,उलझने और  गम   खजाना !
प्यार की   डोर  रही इस लिए  जिन्दा हूँ
 
तुषार खेर

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चहेरे पे चहेरा

दिल में दबाये गम,  चहेरे पे झूठी हँसी लिए, अपने आप को छलता रहा,  बेदर्द ज़माने के लिए|  सूरत-ऐ-आइना काफी था  दिदार-ऐ-दिल के लिए, किसने कहा था मियां चहेरे पे चहेरा लगाने के लिए ? चार दिन जवानी के काफी थे दास्तान-ऐ-मुहबत के लिए, क्यूँ मांगी थी दुआ रब से लम्बी जिंदगानी के लिए ? रहेमत परवर दिगार की काफी थी  जिन्दगी की राह-ऐ-गुज़र के लिए  किसने कहा था मियां, खुद को खुदा समझने के लिए?

Nilaami 1

नामुमकिन नही

तेरे बगैर जिंदगी जीना .... मुश्किल है, नामुमकिन नही  टूटे दिल का इलाज करना.... मुश्किल है, नामुमकिन नही तेरी यादों को भुला पाना .... मुश्किल है, नामुमकिन नही तेरी जगह, किसी और को देना ... मुश्किल है, नामुमकिन नही आँसुओं को आंखों में रोकना .... मुश्किल है, नामुमकिन नही चहेरे पर झूठी हँसी लाना .... मुश्किल है, नामुमकिन नही तेरी खुशी के लिए इतना करना .... मुश्किल है, नामुमकिन नही हर मुश्किल को आसां करना ... मुश्किल है, नामुमकिन नही नामुमकिन को मुमकिन करना ... मुश्किल है, नामुमकिन नही