Friday, 22 August 2014

जिन्दा हूँ

मौत  आती नहीं    इस लिए  जिन्दा हूँ
साँसे  चल रही  इस लिए  जिन्दा हूँ

लगता था अब कोई उम्मीद बाकी नहीं
जान अटकी  रही इस लिए  जिन्दा हूँ

हासिल  थी  जिंदगीमें   खुशियाँ सारी
ख्वाईश गम की रही इस लिए  जिन्दा हूँ

दोस्ती, यारी, मुहोबत, वफादारी सब मिली
बेवफाई बाकी रही इस लिए  जिन्दा हूँ

नज़रें  मिली, यारसे गुफ्तगू भी हुई
खत की चाह  रही, इस लिए  जिन्दा हूँ

मुश्किलें,उलझने और  गम   खजाना !
प्यार की   डोर  रही इस लिए  जिन्दा हूँ
 
तुषार खेर

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