Thursday 30 April 2015

जो तुम्हे दे वो मुझे वरदानमेँ

जो तुम्हे दे वो  मुझे वरदानमेँ
मानने लगु मैं भी भगवानमेंं ।

दिल का रोना कौन देख पाता है
आँख टपके तो बात आये ध्यानमें ।

खंजर छुपाये क्यों घुमते हो दोस्त
मांग लेते, तो जान दे देता दानमें ।

बंदगी में कैसी आई नात -जात
क्या फर्क है श्रावण और  रमजानमें?

आँख मिचोली मत खेल मौत तू
हिम्मत है तो आ आज मैदानमें ।

याद में तेरी अभी तक जल रहा
देख ले आके तू  चिता समशानमें. !

तुषार खेर 

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