अश्कों के जाम पी लेता हूँ
मैं गम को जीत लेता हूँ
तन्हाई जब हद से बढ़ जातीं हैं
खुदसे थोडा बतियाँ लेता हूँ
जब अपने भी पराये से लगते हैं
मैं गैरों को आजमन लेता हूँ
जब भी ये दिल उदास होता हैं
मैं तुमको याद कर लेता हूँ
जब मुश्किलें सुलझा नहीं पता हूँ
परवर दीगर की शरण ले लेता हूँ
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