Thursday, 30 April 2015

जो तुम्हे दे वो मुझे वरदानमेँ

जो तुम्हे दे वो  मुझे वरदानमेँ
मानने लगु मैं भी भगवानमेंं ।

दिल का रोना कौन देख पाता है
आँख टपके तो बात आये ध्यानमें ।

खंजर छुपाये क्यों घुमते हो दोस्त
मांग लेते, तो जान दे देता दानमें ।

बंदगी में कैसी आई नात -जात
क्या फर्क है श्रावण और  रमजानमें?

आँख मिचोली मत खेल मौत तू
हिम्मत है तो आ आज मैदानमें ।

याद में तेरी अभी तक जल रहा
देख ले आके तू  चिता समशानमें. !

तुषार खेर 

Tuesday, 28 April 2015

पोपी

कितनी प्यारी सुंदरता है पोपी कि
फैली है मीठी सी खुश्बू पोपी कि
मेरी जिंदगी का अनमोल तोहफा है पोपी
मेरी अँधेरी जिंदगी का उजाला है पोपी
पोपी कि प्रशंशा करना आसान नही
क्यूँ कि उसको समझना आसान नहीं
वसंत ऋतु में जैसे फूल खिले
प्यारमें पोपी का चहेरा खिले
गुलाबकी पंखुड़ियों से अधर पोपी के
काले घने घटा से केसु पोपी के
पोपी कि आवाज़ जैसे कोयल कि बोली
सिर्फ अपनोसे कर बातें, वर्ना वो अबोली
ममता से भरा दिल पोपी का
प्यार बाटना काम पोपी का
मेरी ईश्वर के चरणो में है यही दुआ
पोपी का दामन रहे खुशियों से भरा

Monday, 27 April 2015

एक ग़ज़ल

रोज कहाँ मन के भीतर तरंगे उठ पाती है !
रोज कहाँ कागज़ पे कलम ये चल पाती है !!

हवा  के झोकों की तरह याद उसकी आती है
पहले की तरह कहाँ वो मेरा साथ दे पाती हैं !!

हसते हुए चहेरे हमेशा खूबसूरत लगते है,
पर गम में चहेरे पे हसी कहाँ रुक पाती है !!

मन की भावनाओं को शब्दों में पिरोना होता है
उसके बगैर कहाँ कागज़ पे कलम चल पाती है ?

आग में तपने के बाद ही सोना चमक पाता है
ये बात तड़पते दिल को  याद कहाँ रह पाती है?


तुषार खेर