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Showing posts from April, 2015

जो तुम्हे दे वो मुझे वरदानमेँ

जो तुम्हे दे वो  मुझे वरदानमेँ मानने लगु मैं भी भगवानमेंं । दिल का रोना कौन देख पाता है आँख टपके तो बात आये ध्यानमें । खंजर छुपाये क्यों घुमते हो दोस्त मांग लेते, तो जान दे देता दानमें । बंदगी में कैसी आई नात -जात क्या फर्क है श्रावण और  रमजानमें? आँख मिचोली मत खेल मौत तू हिम्मत है तो आ आज मैदानमें । याद में तेरी अभी तक जल रहा देख ले आके तू  चिता समशानमें. ! तुषार खेर 

पोपी

कितनी प्यारी सुंदरता है पोपी कि फैली है मीठी सी खुश्बू पोपी कि मेरी जिंदगी का अनमोल तोहफा है पोपी मेरी अँधेरी जिंदगी का उजाला है पोपी पोपी कि प्रशंशा करना आसान नही क्यूँ कि उसको समझना आसान नहीं वसंत ऋतु में जैसे फूल खिले प्यारमें पोपी का चहेरा खिले गुलाबकी पंखुड़ियों से अधर पोपी के काले घने घटा से केसु पोपी के पोपी कि आवाज़ जैसे कोयल कि बोली सिर्फ अपनोसे कर बातें, वर्ना वो अबोली ममता से भरा दिल पोपी का प्यार बाटना काम पोपी का मेरी ईश्वर के चरणो में है यही दुआ पोपी का दामन रहे खुशियों से भरा

एक ग़ज़ल

रोज कहाँ मन के भीतर तरंगे उठ पाती है ! रोज कहाँ कागज़ पे कलम ये चल पाती है !! हवा  के झोकों की तरह याद उसकी आती है पहले की तरह कहाँ वो मेरा साथ दे पाती हैं !! हसते हुए चहेरे हमेशा खूबसूरत लगते है, पर गम में चहेरे पे हसी कहाँ रुक पाती है !! मन की भावनाओं को शब्दों में पिरोना होता है उसके बगैर कहाँ कागज़ पे कलम चल पाती है ? आग में तपने के बाद ही सोना चमक पाता है ये बात तड़पते दिल को  याद कहाँ रह पाती है? तुषार खेर