Skip to main content

तन्हाईयाँ

मै अकेला और मेरी तन्हाईयाँ है |
तेरी याद से लिपटी तन्हाईयाँ है ||

मुझे कहाँ ये तन्हा रहेने देती है ?
मेरे साथ रहेती तेरी परछाईयाँ है |

तस्सवुर में भी उनमें में डूब जाता हूँ |
अजीब  तेरे आँखों की गहराइयाँ है ||

तेरे ख़यालों में ही खोया  रहेता हूँ मैं|
मेरे दिल को भाती तेरी नादानियाँ है||


तन्हाईयों से क्यूं भागते है लोग ?
मुझको लगती प्यारी तन्हाईयाँ है || 


तुषार खेर

Comments

Popular posts from this blog

चहेरे पे चहेरा

दिल में दबाये गम,  चहेरे पे झूठी हँसी लिए, अपने आप को छलता रहा,  बेदर्द ज़माने के लिए|  सूरत-ऐ-आइना काफी था  दिदार-ऐ-दिल के लिए, किसने कहा था मियां चहेरे पे चहेरा लगाने के लिए ? चार दिन जवानी के काफी थे दास्तान-ऐ-मुहबत के लिए, क्यूँ मांगी थी दुआ रब से लम्बी जिंदगानी के लिए ? रहेमत परवर दिगार की काफी थी  जिन्दगी की राह-ऐ-गुज़र के लिए  किसने कहा था मियां, खुद को खुदा समझने के लिए?

कर नहीं पाया

अकेले रहेना, कर नहीं पाया | इंसानों से भागना, कर नहीं पाया | चहेरा अभी भी दिल का आइना है, मुखौटा पहेनना, कर नहीं पाया | जो मिला उसीको मुक्कदर समझा है , महेनत को मना कर नहीं पाया | खून पसीने की   खाने की आदत है , मुफ्त की रोटी तोडना , कर नहीं पाया | रोते हुए बच्चों को हसाने की आदत है , रोजाना देव दर्शन, कर नहीं पाया | तुषार खेर    ३०.०१.२०१७