दिल में दबाये गम, चहेरे पे झूठी हँसी लिए, अपने आप को छलता रहा, बेदर्द ज़माने के लिए| सूरत-ऐ-आइना काफी था दिदार-ऐ-दिल के लिए, किसने कहा था मियां चहेरे पे चहेरा लगाने के लिए ? चार दिन जवानी के काफी थे दास्तान-ऐ-मुहबत के लिए, क्यूँ मांगी थी दुआ रब से लम्बी जिंदगानी के लिए ? रहेमत परवर दिगार की काफी थी जिन्दगी की राह-ऐ-गुज़र के लिए किसने कहा था मियां, खुद को खुदा समझने के लिए?
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