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AAi sathi kavita

ओसंडुन उत्साह वाहतो, उत्सव षष्टपूर्तीचा  !
सह परिहार नमितो आम्ही, भाव मनी सत्काराचा  !!

झुलते तोरण द्वारी  वेलीचे, पवित्रता भारुनी राही !
नमुनि मंगलमूर्ती पूजिला , सत्यनाथ र्हुदायाठायी  !!

तोच जाणता  त्रेलोक्याचा, करता हरता तोच असे !
स्मरता त्यासी येई धाउनी, संकटात हि झेलितसे  !!

कसे निर्मिले  चंचल मन हे, चिंतेने व्याकूळ  चित्ति  !
मोकाट सुटे अधिराईने, स्वारी करी वार्या वरती !!

आयुष्याचा कण  कण  वेचुनि, रंगवू पाहे नभांगणा !
आली  पराकष्टेची सिमा, काय कसे सांगू कोणा ?

गेला प्रातःकाळ  मध्यां:न्ह आता संध्याकाळ आयुष्याचा !
कर्तव्याची  झाली  सांगता, अन फुलला वृक्ष   चंदनाचा !!

आशिर्वाद तव झाले पुलकीत, उडे बांगडे स्वच्छंदी !
चिमण  जणू का  इकडून तिकडे चिवचिवति फांदी फांदी !!

सुख दुःखाची उनसाऊली, कधी चांदणे पौर्णिमेचे !
लहान मोठ्या जरी बुटयांचे, वस्त्र हे च आयुष्याचे !!

दुःखा  नंतर सुख निर्मिले विधी लिखित आहे दोन्ही!
सुखदुःखाचे विश्वचक्र हे, चुकून थांबवू नका कोणी !!
!!
आयुष्याची  ध्येयपूर्ती  हो, हि च प्राथना प्रभू चरणी !
शुभेच्छा ची दिली शिदोरी , उत्सवमुर्ती च्या ठावी   !!

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Nilaami 1

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