दर दर की ठोकरें खिला रही है ये ज़िन्दगी !
न जाने कहाँ ले जा रही है ये ज़िन्दगी !!
रोज ही रामायण और रोज ही महाभारत !
रोज एक नया अध्याय है ये ज़िन्दगी !!
कभी हारके जीताती है ,कभी जितके हराति है!
लगता है कोई खतरनाक खेल है ये ज़िन्दगी !!
कभी सुबह से श्याम तक का हँसी सफ़र
कभी मध्यान में ही अस्त है ये ज़िन्दगी !!
न जाने कहाँ ले जा रही है ये ज़िन्दगी !!
रोज ही रामायण और रोज ही महाभारत !
रोज एक नया अध्याय है ये ज़िन्दगी !!
कभी हारके जीताती है ,कभी जितके हराति है!
लगता है कोई खतरनाक खेल है ये ज़िन्दगी !!
कभी सुबह से श्याम तक का हँसी सफ़र
कभी मध्यान में ही अस्त है ये ज़िन्दगी !!
No comments:
Post a Comment