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क्यां लिखूँ ?

सोचता हूँ  कुछ लिखूँ ,
सोचता  हूँ  क्यां लिखूँ ?

प्यार का अहेसास  हैं,
दिल तेरे  नाम लिखूँ !

तुझे  मेरे  जैसा बनाना हैं
मेरी  तक़दीर तेरे नाम लिखुँ ?

सदा रहे खुश ये चाह है
दुआ में  तेरा नाम लिखू ?

जुग जुग जी तू   लाल मेरे
मेरी उम्र तेरे तेरे नाम लिखुँ ?

सोचता हूँ  कुछ लिखू  ,
सोचता  हूँ  क्यां लिखू ?

तुषार  खेर


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दिल में दबाये गम,  चहेरे पे झूठी हँसी लिए, अपने आप को छलता रहा,  बेदर्द ज़माने के लिए|  सूरत-ऐ-आइना काफी था  दिदार-ऐ-दिल के लिए, किसने कहा था मियां चहेरे पे चहेरा लगाने के लिए ? चार दिन जवानी के काफी थे दास्तान-ऐ-मुहबत के लिए, क्यूँ मांगी थी दुआ रब से लम्बी जिंदगानी के लिए ? रहेमत परवर दिगार की काफी थी  जिन्दगी की राह-ऐ-गुज़र के लिए  किसने कहा था मियां, खुद को खुदा समझने के लिए?

Nilaami 1

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