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Showing posts from February, 2013

माना की

माना की    वक्त की मार  बड़ी तगड़ी होती है  पर कई जख्मों की दवा सिर्फ वक्त के पास होती है । माना की जिन्दगी में बड़ी तकलीफें होती है  जब तक मौत न आये उन्हें सहेनी होती है । माना की प्यार -मुहोबात में बड़ी ताकत होती है  मगर  प्यारमें दिल टूटने की  आवाज़ नहीं होती है। माना  की  किसीकेचहेरें पे हसी आना अछ्छी बात होती है  मगर दूसरों  की बुरी हालत पे आना बुरी बात होती है । माना  की मुश्किलें हर  इंसान को झेलनी होती है  मगर सकारात्मक तरीके से उसे मात देनी होती है । तुषार खेर 

क्या करें?

न वो तो तेरी सुनता है न ही मेरी सुनता है उपरवाला तो बस अपने  मन की करता है न मंदीर में रहेता है न मस्जिद में रहेता है खुदा अपना ठिकाना कब जग-जाहिर करता है? सूरज तो रोज डूबता है और रोज निकलता  है पर अपने गम की रात का कब सवेरा करता है? कभी इस फुल को चूमता है तो कभी उस फुल को चूमता है नादान भंवरा कब किसी फूलको हमेंशा अपनाया  करता है न हिन्दू को छोड़ता है न मुसलमान को छोड़ता है आतंकवादी का हुम्ला  कहाँ मजहब देखा करता है?

हँसी आई

कभी खुदपे कभी हालत पे हँसी आई  याद आई बात तो, हर  बात पे     हँसी आई! उसने जब पूछा मेरे दुखी होने का सबब मेरे दुखी होने की वजाह पे मुझको  हँसी आई! हम तो समझे थे की बरसात में बरसेगी फिजां  आई बरसात तो मेरी समझ पे  हँसी आई!   जिन्दगी भर मैं  मौत से डरता रहा  आई जब मौत तो, जिद्गानी पे    हँसी आई

कुछ शेर_1

श्याम होते ही पंछि आसमान से जमीं पे उतर आते है जो शुकून जमीं पे मिलता है , आसमान में नहीं मिलता .                    ******** सुना है, आइना कभी झ्होथ नहीं बोलता फिर वो हशी के पीछे छुपा दर्द क्यूँ नहीं दिखाता?                    ********* आज कल वो ख्यालों में भी नहीं आते आखिर उनसे मिले तो कैसे मिले?               ******* उस गरीब के झोपडी में कई दिनों से दिया नहीं जला चलो आसमान से कुछ सितारे ला के उसके घर भेज दे                       **************            

थोड़ी सी समझ

थोड़ी सी समझ अगर मुझमें आ जाये तो! जो है पास उसी में  संतोष मिल जाये तो! ख़ुशी किसीको हमेशां कहाँ मिल पाती है ? मिली  जितनी , उसी से मन भर  जाये तो! हर कदम कहाँ सफलता मिल पाती है? आखिर में अपनी मंझिल मिल जाये तो! जिन्दगी भर जिसके लिए तरसता रहा  मौत के वक्त वो मेरे गले  लग  जाये तो! मोक्ष की कामना यहाँ  हर  किसी के दिल में  मुझ को इसी धरती  पर  स्वर्ग मिल जाये तो! तुषार खेर 

कहाँ जाऊं?

टूटे दिल का इलाज़ करने कहाँ जाऊं? जीने का सामान जुटाने कहाँ जाऊं? दौड़ती भागती इस दुनिया में  दो पल  शांति पाने  कहाँ जाऊं? हर कोई यहाँ स्पर्धा कर रहा है  मै  सहकार पाने  कहाँ जाऊं? नफ़रत की आग में हर  दिल जलें यहाँ  प्यार की शीतल छाया पाने  कहाँ जाऊं? मंदीर की मूरत में तो राम   मिला नहीं  मन के भीतर उसे तलाशने  कहाँ जाऊं? जिसे भी देखो वो अपने आप में गूम है  ऐसे में हमजुबां  पाने   कहाँ जाऊं?

राह -ऐ-गुजर

ज़िन्दगी की राह -ऐ-गुजर कुछ ऐसे कर रहा  हूँ । पता नहीं 'क्यूँ? ' फिर भी मै जिये  जा रहा हूँ ।। 'कहाँ से आया?' ' कहाँ  है जाना?' 'क्या तुझे है करना?' व्यर्थ ही ऐसे मुश्किल सवाल खुदसे किये  जा रहा हूँ । 'अन्त में साथ में कुछ नहीं है जाता सिवा अपने कर्मो के '  जानते हुंए ये, जैसे भी हो,  धन अर्जित    किये  जा रहा हूँ !   सुना है की 'कण कण में  है राम , अपने मन में भी है राम' । फिर भी मंदिर की मूरत में उसकी खोज   किये  जा रहा हूँ ।। ज़िन्दगी की राह -ऐ-गुजर कुछ ऐसे कर रहा  हूँ ! पता नहीं 'क्यूँ? ' फिर भी मै जिये  जा रहा हूँ !! तुषार खेर