Monday, 25 February 2013

हँसी आई

कभी खुदपे कभी हालत पे हँसी आई 
याद आई बात तो, हर  बात पे   हँसी आई!

उसने जब पूछा मेरे दुखी होने का सबब
मेरे दुखी होने की वजाह पे मुझको हँसी आई!

हम तो समझे थे की बरसात में बरसेगी फिजां 
आई बरसात तो मेरी समझ पे हँसी आई! 

जिन्दगी भर मैं  मौत से डरता रहा 
आई जब मौत तो, जिद्गानी पे  हँसी आई

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