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हो जाये!


काश कभी कोई सपना  भी  सच  हो जाये!
जिसकी तलाश हो, उससे सामना हो जाये!

बंद किए बैठा हूँ,  दिल के दरवाजे   मैं 
तुम जो आओ, शायद  वो खुले हो जाये !

सुना है हर रात की सुबह होती है 
मेरे गम का भी शायद अंत हो जाये !

बरसों  पुराना  दोस्त मिल गया है  तो 
शायद कोई पुरानी  याद ताज़ा हो जाये !

संपूर्ण विश्वास  से  तुम उसकी भक्ति करो 
तुम्हे शायद भगवान् के दर्शन  हो जाये! 

तुषार खेर 

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मै अकेला और मेरी तन्हाईयाँ है | तेरी याद से लिपटी तन्हाईयाँ है || मुझे कहाँ ये तन्हा रहेने देती है ? मेरे साथ रहेती तेरी परछाई याँ है | तस्सवुर में भी उनमें में डूब जाता हूँ | अजीब  तेरे आँखों की गहराइयाँ है || तेरे ख़यालों में ही खोया  रहेता हूँ मैं| मेरे दिल को भाती तेरी नादानियाँ है|| तन्हाईयों से क्यूं भागते है लोग ? मुझको लगती प्यारी तन्हाईयाँ है ||  तुषार खेर

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अकेले रहेना, कर नहीं पाया | इंसानों से भागना, कर नहीं पाया | चहेरा अभी भी दिल का आइना है, मुखौटा पहेनना, कर नहीं पाया | जो मिला उसीको मुक्कदर समझा है , महेनत को मना कर नहीं पाया | खून पसीने की   खाने की आदत है , मुफ्त की रोटी तोडना , कर नहीं पाया | रोते हुए बच्चों को हसाने की आदत है , रोजाना देव दर्शन, कर नहीं पाया | तुषार खेर    ३०.०१.२०१७