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त्रिवेणी

                            १ 
जाते जाते अपना सब कुछ् ले गई,
यहाँ तक की सब यादें भी साथ ले गई


पर  गम को साथ ले जाना भूल गई !!

                      २ 
स्मार्ट फ़ोन, टेबलेट, लैपटॉप और टीवी है 
कार , बंगला और तगड़ा बैंक बैलेंस भी है 

इस दिल को फिर भी क्यूँ चैन नहीं है ?

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चहेरे पे चहेरा

दिल में दबाये गम,  चहेरे पे झूठी हँसी लिए, अपने आप को छलता रहा,  बेदर्द ज़माने के लिए|  सूरत-ऐ-आइना काफी था  दिदार-ऐ-दिल के लिए, किसने कहा था मियां चहेरे पे चहेरा लगाने के लिए ? चार दिन जवानी के काफी थे दास्तान-ऐ-मुहबत के लिए, क्यूँ मांगी थी दुआ रब से लम्बी जिंदगानी के लिए ? रहेमत परवर दिगार की काफी थी  जिन्दगी की राह-ऐ-गुज़र के लिए  किसने कहा था मियां, खुद को खुदा समझने के लिए?

Nilaami 1

नामुमकिन नही

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