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Showing posts from 2014

त्रिवेणी

वक्त के साँचें में ढलता  जा रहा हूँ दुनियां में आगे बढ़ता  जा रहा हूँ मेरे ज़मीर को मैं खोता जा रहा हूँ तुषार खेर

वक्त

जो वक्त के साथ खुदको बदलेगा उसका अच्छा वक्त जरूर आएगा! वक्त कभी अच्छा तो कभी बुरा आएगा मुझे राज़ आया,  आपको भी  आएगा! सुख का वक्त हो या हो दुःख का एक जायेगा और दूसरा आएगा ! आज तेरा है माना, कल  मेरा भी जरूर आएगा सही वक्तपे हर एक का अच्छा वक्त आएगा! इंसान को चाहिए की वकत से डरता रहे कया जाने कब किसपे कैसा वक्त आएगा! तुषार खेर 

गम के सायें

वो ज़ख्म अब तक नहीं  भरे जो मेरे अपनों से  मुझे  मिले वो फासले अब तक नहीं मिटें जो तेरे  बिछड़ने से मुझे  मिले वो गम के सायें नहीं मिटें जो तेरी  खुषी से मुझे  मिले जन्म-मरण के चक्र  नहीं छूटे, जो मेरे  कर्मों से मुझे मिले Tushar Kher

चुपकेसे

मैंने उसे देखा चुपकेसे उसने मुझे देखा चुपकेसे नजरें मिली चुपकेसे तीर चले चुपकेसे दिल धड़का  चुपकेसे प्यार हुआ चुपकेसे फूल खिला चुपकसे भंवरा आया चुपकेसे बात आगे बढ़ी चुपकेसे शादी भी हुई चुपकेसे तुषार खेर

जिन्दा हूँ

मौत  आती नहीं    इस लिए  जिन्दा हूँ साँसे  चल रही  इस लिए  जिन्दा हूँ लगता था अब कोई उम्मीद बाकी नहीं जान अटकी  रही इस लिए  जिन्दा हूँ हासिल  थी  जिंदगीमें   खुशियाँ सारी ख्वाईश गम की रही इस लिए  जिन्दा हूँ दोस्ती, यारी, मुहोबत, वफादारी सब मिली बेवफाई बाकी रही इस लिए  जिन्दा हूँ नज़रें  मिली, यारसे गुफ्तगू भी हुई खत की चाह  रही, इस लिए  जिन्दा हूँ मुश्किलें,उलझने और  गम   खजाना ! प्यार की   डोर  रही इस लिए  जिन्दा हूँ   तुषार खेर

वाह भाई वाह!

उसका मुझसे प्यार करना, वाह भाई वाह! प्यारका इझहार करना, वाह भाई वाह! दिल का बेकरार होना, उसे मिलने की आसमें और अचानक उसका रूबरू होना, वाह भाई वाह! कैसे कहूँ दिलकी बात, सोचमें था मैं डूबा हुआ आपस में नज़रों का मिलान, वाह भाई वाह! उदास श्याम, मै  तनहा  और   दिल परेशां, ऐसे में उसकी याद आना, वाह भाई वाह! तमाम उम्र बीती थी  उसके इंतज़ार में, अब उसक मेरे कब्र पे आना, वाह भाई वाह! तुषार खेर 

फ़िक्र मत कर

जो जी में आये कर, तू फ़िक्र मत कर ! जिंदगी कर ले बसर, तू फ़िक्र मत कर!! मिलेगी असफलता या होगा तू सफल ? पहले कोशिश तो कर, तू फ़िक्र मत कर!! सोच और अल्फ़ाज़ चाहे हो किसी औरके, ग़ज़ल नाम अपने कर, तू फ़िक्र मत कर!! मुश्किल हो राह-ए-गुजर और न हमसफर, होंसला तो बुलंद रख, तू फ़िक्र मत कर!! चिंता चिता समान, कह गए ज्ञानी लोग तू अमल उस पर कर, तू फ़िक्र मत कर तुषार खेर 

शबनम कि बुँदे फुलोंपे

शबनम कि  बरसी  बुँदे कोमल कोमल फुलोंपे ! शबनम ने फूलोंसे पूछा जरा एक बात तो बता तुम इतने नाजुक कैसे माशूका के होंठोके जैसे?  इतना सुखद स्पर्श तुम्हारा जानेका अब नहीं मन  मेरा !! फूलने पंखुड़िया सिमटी जैसे कोई दुल्हन शरमाई थोडा सा इतराके ,थोडा सा मुस्कुराके फूल बोला अपने अधरों को हिलाके छन से आके गिरे तन पे मेरे सोचा नहीं क्या हाल होंगे मेरे? बूंद ने कहा फूल से मेरे तुझपे गिरने से सुंदरता तेरी निखरी कोमलता तेरी चमकी फूल बोला शबनम  से क्षणीक तेरी हस्ती है सूरजके निकलते ही ख़तम ये आशिकी है बूंद बोला फूल से जितनी ख़ुशी मिलती हैं बटोर लो उसको तुम छोटीसी जिंदगीमें ! आज , अभी इसी क्षण जी लो जी भरके कल कि चिंता छोडो कल किसने देखा है तुषार खेर