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Showing posts from 2015

तन्हाईयाँ

मै अकेला और मेरी तन्हाईयाँ है | तेरी याद से लिपटी तन्हाईयाँ है || मुझे कहाँ ये तन्हा रहेने देती है ? मेरे साथ रहेती तेरी परछाई याँ है | तस्सवुर में भी उनमें में डूब जाता हूँ | अजीब  तेरे आँखों की गहराइयाँ है || तेरे ख़यालों में ही खोया  रहेता हूँ मैं| मेरे दिल को भाती तेरी नादानियाँ है|| तन्हाईयों से क्यूं भागते है लोग ? मुझको लगती प्यारी तन्हाईयाँ है ||  तुषार खेर

कोशिश

तदबीर से तकदीर लिखने की कोशिश कर रहा हूँ अपने आप को तराशने की कोशिश कर रहा हूँ खुदकों दिलके हवाले करने की कोशिश कर रहा हूँ आज फिर इश्क़ तलाशने की कोशिश कर रहा हूँ जो छोड़ गए उन्हे भूलने की कोशिश कर रहा हूँ किसी और को दिलमे बिठाने की कोशिश कर रहा हूँ कण कण में बसे राम; ढूंढने की कोशिश कर रहा हूँ क्या हर दिलमें है राम? जानने की कोशिश कर रहा हूँ दुनियाके लोगोकों समझने की कोशिश कर रहा हूँ इन्सानों में इंसानियत मिले, कोशिश कर रहा हूँ तुषार खेर

तो क्या बात है!

प्रभुके चरणों में ये प्राण निकले तो क्या बात है! दिये  की तरहा अगर  हम जले  तो क्या बात है! जिंदगीभर तूने साथ मेरा दिया है हमदम, पर तेरे हाथों गर कफ़न भी मिले  तो क्या बात है! काली बिल्ली चाहे उसका रास्ता काट जाये, वो अचानक वापस आ जाएं  तो क्या बात है! उसके आने की ख़ुशी में  कहीं  मर न जाऊं यारों थोड़ा रंज-ओ-ग़म भी मिल जाएँ तो क्या बात है! तुषार खेर 

जो तुम्हे दे वो मुझे वरदानमेँ

जो तुम्हे दे वो  मुझे वरदानमेँ मानने लगु मैं भी भगवानमेंं । दिल का रोना कौन देख पाता है आँख टपके तो बात आये ध्यानमें । खंजर छुपाये क्यों घुमते हो दोस्त मांग लेते, तो जान दे देता दानमें । बंदगी में कैसी आई नात -जात क्या फर्क है श्रावण और  रमजानमें? आँख मिचोली मत खेल मौत तू हिम्मत है तो आ आज मैदानमें । याद में तेरी अभी तक जल रहा देख ले आके तू  चिता समशानमें. ! तुषार खेर 

पोपी

कितनी प्यारी सुंदरता है पोपी कि फैली है मीठी सी खुश्बू पोपी कि मेरी जिंदगी का अनमोल तोहफा है पोपी मेरी अँधेरी जिंदगी का उजाला है पोपी पोपी कि प्रशंशा करना आसान नही क्यूँ कि उसको समझना आसान नहीं वसंत ऋतु में जैसे फूल खिले प्यारमें पोपी का चहेरा खिले गुलाबकी पंखुड़ियों से अधर पोपी के काले घने घटा से केसु पोपी के पोपी कि आवाज़ जैसे कोयल कि बोली सिर्फ अपनोसे कर बातें, वर्ना वो अबोली ममता से भरा दिल पोपी का प्यार बाटना काम पोपी का मेरी ईश्वर के चरणो में है यही दुआ पोपी का दामन रहे खुशियों से भरा

एक ग़ज़ल

रोज कहाँ मन के भीतर तरंगे उठ पाती है ! रोज कहाँ कागज़ पे कलम ये चल पाती है !! हवा  के झोकों की तरह याद उसकी आती है पहले की तरह कहाँ वो मेरा साथ दे पाती हैं !! हसते हुए चहेरे हमेशा खूबसूरत लगते है, पर गम में चहेरे पे हसी कहाँ रुक पाती है !! मन की भावनाओं को शब्दों में पिरोना होता है उसके बगैर कहाँ कागज़ पे कलम चल पाती है ? आग में तपने के बाद ही सोना चमक पाता है ये बात तड़पते दिल को  याद कहाँ रह पाती है? तुषार खेर

कहे सकू तो कहूँ

लो करता हूँ कोशिश, कहे सकू तो कहूँ सही अल्फाज़ गर मिल जाये,  तो कहूँ हर किसिको बताने की तो ये बात नहीं, कोई दिल से  अगर  सुनना चाहे  तो कहूँ तुषार खेर

थक गया हूँ मैं !

वक्त-बेवक्त उठते हुए गुबार से थक गया हूँ मैं, किनारा हूँ  आती जाती मौजोसे  थक गया हूँ मैं ! न जीने की ख्वाइश है, ना ही मरने का डर, बेवजह चल रही साँसो से  थक गया हूँ मैं ! कबसे माफ कर चुका हूँ उस बेवफा के गुनाह को. फिर भी आ रही उसकी सफाई से  थक गया हूँ मैं ! राज़ आ जायेंगे मुझे मेरे आंसू और मेरी  तन्हाई मेरे अपनों से मिल रही हमदर्दी से  थक गया हूँ मैं ! तुषार खेर

क्या करें?

मन मर जाए मौतसे  पहले तो क्या  करें? दर्द-ए-दिल हद से गुजर जाएँ  तो क्या करें? आँख से आंसू  निकल जाएँ   तो क्या करें? संयम मनपे  न रहे   तो क्या करें?  नज़र में उनकी छायी है मदहोशियाँ दिल बे-काबू  हो जाएँ तो क्या करें? दर्द-ए-दिल मौत की वज़ह बने मुमकिन नहीं बेपनाह ख़ुशी से गर मर जाएँ  तो क्या करें?  तुषार खेर 

क्यां लिखूँ ?

सोचता हूँ  कुछ लिखूँ , सोचता  हूँ  क्यां लिखूँ ? प्यार का अहेसास  हैं, दिल तेरे  नाम लिखूँ ! तुझे  मेरे  जैसा बनाना हैं मेरी  तक़दीर तेरे नाम लिखुँ ? सदा रहे खुश ये चाह है दुआ में  तेरा नाम लिखू ? जुग जुग जी तू   लाल मेरे मेरी उम्र तेरे तेरे नाम लिखुँ ? सोचता हूँ  कुछ लिखू  , सोचता  हूँ  क्यां लिखू ? तुषार  खेर

नया साल

नया  साल,  पर वही पुरानी प्यास ! तुमसे मिलने की वही पुरानी आस !! नया साल, पर वही पुराना अहसास ! वही दर्द और वही तन्हाई का आभास !! नया  साल, पर वही पुराने सिस्टाचार ! दर्द  छुपाने के लिए हसीँ की बौछार !! नया  साल,पर वही पुराना कारावास ! वही काम और फिर वही  भागम भाग !! तुषार खेर