जिनकी तसवीरें सिर्फ अखबार में देखते थे वो ही नेता आज मेरे द्वार पे हैं दिखें चुनाव जो है आये जिनको संसद में चुप चाप बैठे हुए देखते थे वो ही नेता स्टेज पर दहाड़ते हुए हैं दिखें चुनाव जो है आये जिनको अब तक जनता को लुटते हुए देखते थे वो ही नेता आज जनता में पैसे लुटाते हुए हैं दिखें चुनाव जो है आये जिनको भ्रष्ट्राचार के दल दल में फसे हुए देखते थे वो ही नेता दूसरों पे कीचड़ उछालते हुए हैं दिखें चुनाव जो है आये जिनको जनता की हर मांग को ठुकराते हुए देखते थे वो ही नेता आज उसी जनता से मत मांगते हुए दिखें चुनाव जो है आये
गैरों में और अपनों में ज्यादा फर्क न दिखें जिन्दगी में कुछ ऐसे तजुरबें है मुझे दिखें बहुत दिनों बाद महेफिल में दोस्त पुराने दिखें बड़ी मुश्किल् से वो दोस्ती निभाते मुझे दिखें 'हम ही जीतेंगें' ये कहेते हुए कई राज नेता दिखें जनता से भीख में मत मागते वोही नेता मुझे दिखें महेफिल में कुछ हस्ते हुए खुशनुमा चहेरे दिखें अकेले में मगर वोही चहेरे आंसूं बहाते मुझे दिखें बहुतसे बुज़ुर्ग लम्बी जिंदगानी जीते दिखें मौत से मिलने को तरसते वो मुझे दिखें
कोयले की दलाली में सुना था हाथ काले होते है मगर उसमें आपके बैंक बैलेंस तगड़े हो जाते है सुना है लोग पेट भरने के लिए दाल रोटी खाते है मगर कुछ नेता यहाँ पे घास चारा भी खा जाते है
कौन चाहता है यूँ जिन्दगी से खेलना ये जिन्दगी ही मुझसे खिलवाड़ कर रही है कौन चाहता है यूँ तक़दीर से उलझाना तक़दीर ही मुझसे बार बार उलझ रही है कौन चाहता है यूँ चौकट पे सर झुकाना कोई ताकत मुझे बार बार झुका रही है कौन चाहता है यूँ मंझिले बदलते रहेना हर राह मुझे एक नयी मंझिल दिखा रही है कौन चाहता है यूँ घमंडी बनके रहेना हर एक सफलता मुझे मगरूर बना रही है कौन चाहता है यूँ इश्क में तनहा रहेना किसी की बेवफाई मुझे तनहा बना रही है कौन चाहता है इस तराह जिन्दगी जीना ये जिदगी ही मुझको तिल तिल मार रही है
बहुत सुना ली दर्द-ऐ दिल की दास्ताँ दिलकी खुशियाँ बाँट कर तो देखो जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो बहुत पढ़ लिए पोथी और पुराण ढाई अक्षर प्रेम के पढ़ कर तो देखो जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो अपनों में बाटीं है सदा तुमने खुशियाँ गैरों को अपना बनाकर तो देखो जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो बहुत सहे लिए जिन्दगी के तनाव बच्चों के साथ बच्चे बन कर तो देखो जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो चहेरे पे नकाबों का बोझ बढ़ चूका है चहेरे से नकाब हटा कर तो देखो जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो गम को न दो ताकत तुम्हे दुखी करने की गम को हस कर गले लगा कर तो देखो जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो खूबसूरती पे चहेरे की मरके क्या होगा? किसी के दिल की किताब पढ़ के तो देखो जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो बहुत नाप ली धरती की लम्बाई और चौड़ाई आसमान में अब उड़ान लगा कर तो...
माना के ये जिन्दगी है चार दिन की बहुत होते है यारों, चार दिन भी ** जिससे पूछा मैं, के दिल खुश है दुनियां में कहीं ? रो दिया उसने और कहा के, कहते हैं ऐसे ** साथ में हो तो प्रेम करो एकांत में हो तो ध्यान करो ** मई अब भी सोच रहा हूँ के तुम्हारी तरह बेचकर खुदको ये बाज़ार ख़रीदा होता ** लायी हयात आये क़ज़ा ले चली चले अपनी ख़ुशी न आये न अपनी ख़ुशी चले
outdated हो गयी जिंदगी सपने भी download होते नहीं दया भाव को virus लग गया दुःख Send कर सकते नही पुरानी यादें गायब है delete हुई files की तराह घर बिलकुल शांत है out of range mobile की तराह इक्कीसवी सदी के बच्चे है बिलकुल cute contact list बढ़ रही है संभाषण है mute विज्ञान की गुलामगिरी में ये कैसी हो गयी चूक खून के रिश्ते निभानेके लिए भी जरूरी हो गयी Facebook
रंगीन खुशियों की बहार है दिवाली प्रेम और उल्हास का त्यौहार है दिवाली दीप की रोशनि से अँधेरा मिटाना है सबको गले लगाके प्यार बाटना है मिठाइयां खिलाके खुशियाँ बढ़ाना है गिफ्ट बांटके अपनों को खुशहाल बनाना है आओ खुशियाँ बाटें दिवाली मनाएं दिए जलायें अँधेरा मिटायें।
गए थे दूर , " उनके कितने पास हैं" जानने के लिए हम पता चल गया कैसी कैसी गलतफहेमी पालते थे हम “वफ़ा करेंगे , निभाएंगे , बात मानेंगे” कहते थे आप हरदम पर वो किसी और के लिए था, ये कहाँ जानते थे हम जिन्दगी की तराह आपको अब भी प्यार करते है हम ‘मै आपका प्यार नहीं’ ये सच जानकर भी टालते थे हम “‘वो महेलों की राजकुमारी तुम्हे नहीं मिलेगी”’ सुनते थे हम पर आप मेरी तक़दीर में नहीं, ये बात कहाँ मानते थे हम
मौत उठा लेती मुझे उसकी क्या औकात थी? मैंने देखा, जिन्दगी ने भी इशारा कर दिया था इन बुलंदी को छुं लूँ, इतना कहाँ मैं होनहार था वो तो मेरी तदबीर को तकदीर का सहारा था हर कोई छोड़ के चल दे इतना मैं नाकारा नहीं था कुछ दोस्तों की बेवफाई तो कुछ वक्त का तकाजा था
जिन्दगी क्या होती है उसको बतलाए, चल जिन्दगी मौत को जीना सिखलाए ! जब भी ये आती है सबको रुलाती है, चल इसे दूसरों को हँसाना सिखलाये! दबे पाँव ये चुपके से रुजू हो जाती है, इसे दरवाजे पे दस्तक देना सिखलाएँ ! कमजोर लाचार इंसानों को ये हरा देती है, इसे कमजोरों का हौसला बढ़ाना सिखला दे! जब ये आये , इसे ख़ुशी से गले लगा ले, 'अतिथि देवो भव' ये भी सिखला दे उसे!
गैरों में कहाँ था इतना दम दिलको हमारे दे पाते गम . तेरी जुदाई करती है आँखें नम तुझे अपना जो माने है ये मन. मेरी आँखें फिरसे ना हो नम सदा रहे हममें ये अपनापन.
अल्फाज़ की जुबान कुछ और कहे गयी बात मेरे मन की तो मन ही में रहे गयी सुंदर चहेरा देख के नजर उसिपे ठहर गयी मन को पढ़ पायें , वो चश्म कहाँ रहे गयी गुड़ सी मीठी बोली उसकी कुछ और कहे गयी मनके अंदरकी कटुता जाने कहाँ रहे गयी? चहेरे पे हँसीं की चिलमन चमकती रहे गयी दर्द-ऐ -दिलकी दास्ताँ , न जाने किधर रहे गयी जिन्दगी की राह -ऐ-गुजर में नई राहें मिलती गयी जिस मंजिल की चाह थी, वो जाने कहाँ रहे गयी?