Thursday, 29 November 2012

लग जा गले

कैसे जिउं मैं 
तेरे बिना बलमा 
ये तो बता जा 

    xx  

लग जा गले 
कुछ राहत मिलें 
दिल को मेरें 

   xx

नैनों के रस्ते 
दिल में उतर जा 
वहीँ बस जा 

   xx

Wednesday, 28 November 2012

चुनाव जो है आये


जिनकी तसवीरें सिर्फ अखबार में देखते थे
वो ही नेता आज मेरे द्वार पे हैं दिखें
चुनाव जो है आये

जिनको संसद में चुप चाप बैठे हुए देखते थे
वो ही नेता स्टेज पर दहाड़ते हुए हैं दिखें
चुनाव जो है आये

जिनको अब तक जनता को लुटते हुए देखते थे
वो ही नेता  आज जनता में पैसे लुटाते हुए हैं दिखें
चुनाव जो है आये

जिनको भ्रष्ट्राचार के दल दल में फसे हुए देखते थे
वो ही नेता दूसरों  पे  कीचड़ उछालते हुए हैं दिखें
चुनाव जो है आये

जिनको जनता की हर मांग को ठुकराते हुए देखते थे
वो ही नेता आज उसी जनता से मत मांगते हुए दिखें
चुनाव जो है आये


Monday, 26 November 2012

मुझे दिखें

गैरों में और अपनों में ज्यादा फर्क न दिखें 
जिन्दगी में कुछ ऐसे तजुरबें  है मुझे दिखें 

बहुत दिनों बाद महेफिल में दोस्त पुराने दिखें 
बड़ी मुश्किल् से वो दोस्ती निभाते मुझे दिखें 


'हम ही जीतेंगें' ये  कहेते हुए कई राज नेता दिखें  
जनता से भीख में मत मागते वोही नेता  मुझे दिखें  

महेफिल में कुछ हस्ते हुए खुशनुमा चहेरे दिखें 
अकेले में मगर वोही चहेरे आंसूं बहाते  मुझे दिखें 


बहुतसे बुज़ुर्ग लम्बी जिंदगानी जीते दिखें 
मौत से मिलने को तरसते वो मुझे दिखें 

Saturday, 24 November 2012

खाते है

कोयले की दलाली में सुना था हाथ  काले होते  है
मगर  उसमें आपके बैंक बैलेंस तगड़े हो जाते है

सुना है लोग पेट भरने के लिए दाल रोटी खाते है
मगर कुछ नेता यहाँ पे घास चारा भी खा जाते है

Tuesday, 20 November 2012

कौन चाहता है


कौन चाहता है  यूँ जिन्दगी से खेलना
ये जिन्दगी ही मुझसे खिलवाड़ कर रही है 

कौन चाहता है  यूँ तक़दीर से उलझाना
तक़दीर ही मुझसे बार बार उलझ रही है 

कौन चाहता है  यूँ चौकट पे सर झुकाना
कोई ताकत मुझे बार बार झुका रही है 

कौन चाहता है  यूँ मंझिले बदलते रहेना
हर राह मुझे एक नयी मंझिल दिखा रही है 

कौन चाहता है  यूँ   घमंडी बनके  रहेना
हर एक सफलता मुझे मगरूर बना रही है 

कौन चाहता है यूँ इश्क में तनहा रहेना
किसी की बेवफाई मुझे तनहा बना रही है 

कौन चाहता है  इस तराह जिन्दगी जीना
ये जिदगी ही मुझको तिल तिल  मार रही है 

Monday, 19 November 2012

वसंत आया : ४ हाइकु


 1

कलियाँ खिली 
गुलशन महेका 
वसंत आया 

     2

वसंत आया 
गुलशन महेका 
मन  बहेका 

     3

हिम्मत कर 
असलियत दिखा 
नकाब हटा 

     4

पढाई करो 
एकाग्रता बढाओ 
सफल बनो 

Saturday, 17 November 2012

जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो

बहुत सुना ली दर्द-ऐ दिल की दास्ताँ 
दिलकी खुशियाँ बाँट  कर तो देखो 
जिन्दगी  खुबसूरत है जी कर तो देखो 

बहुत पढ़ लिए पोथी और पुराण 
ढाई अक्षर प्रेम के  पढ़ कर तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

अपनों में बाटीं है सदा तुमने खुशियाँ 
गैरों को अपना बनाकर तो देखो 
जिन्दगी  खुबसूरत है जी कर तो देखो 

बहुत सहे लिए जिन्दगी के तनाव 
बच्चों के साथ बच्चे बन कर तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

चहेरे पे नकाबों का बोझ बढ़ चूका है 
चहेरे से नकाब हटा कर तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

गम को न दो ताकत तुम्हे दुखी करने की 
गम को हस कर गले लगा कर तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

खूबसूरती पे चहेरे की मरके  क्या होगा?
किसी के दिल की किताब पढ़ के तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

बहुत नाप ली धरती की लम्बाई और चौड़ाई 
आसमान में अब उड़ान लगा कर तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

मिल जाएगी तुम्हे हर मंजील जनाब 
हौसला बुलंद अपना करके तो देखो 
जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो 

Tuesday, 13 November 2012

कुछ शेर


माना  के ये जिन्दगी है चार दिन की 
बहुत होते है यारों, चार दिन भी 

**

जिससे पूछा मैं, के दिल खुश है दुनियां में कहीं ?
रो दिया उसने और कहा के, कहते हैं ऐसे 

**

साथ में हो तो प्रेम करो 
एकांत में हो तो ध्यान करो 

**

मई अब भी सोच रहा हूँ के तुम्हारी तरह 
बेचकर खुदको ये बाज़ार ख़रीदा होता 

**

लायी हयात आये क़ज़ा ले चली चले 
अपनी ख़ुशी न आये न अपनी ख़ुशी चले 




जला दीपक


जला दीपक
अँधेरे को मात दी
फैला उजाला

चारों तरफ
अन्धकार है छाया
कब सवेरा?


धरा बिस्तर

आसमान की छत
मतवाला मैं 

Monday, 12 November 2012

मेरे हाइकु


1.

मन लाचार 
मोह माया का जाल 
मोक्ष दुश्वार 

2.

चलते रहो 
आगे बढ़ते रहो 
मंजिल पाओ 


हौसला रख 
हिम्मत मत हार 
राहें कठिन 

4.

लढता  रहा 
आखरी दम तक 
जीने के लिये 

Sunday, 11 November 2012

हाइकु:


मन उदास
पिया का मिले साथ
फिर खिलेगा

Saturday, 10 November 2012

आधुनिक जिंदगी

outdated  हो गयी जिंदगी 
सपने भी download  होते नहीं 
दया भाव को virus लग गया 
दुःख Send  कर  सकते नही 

पुरानी  यादें गायब है 
delete हुई  files की तराह 
घर बिलकुल शांत है 
out of  range mobile की तराह 

इक्कीसवी सदी के बच्चे 
है बिलकुल cute 
contact  list  बढ़ रही है 
संभाषण है mute 

विज्ञान की गुलामगिरी में 
ये कैसी हो गयी चूक 
खून के रिश्ते निभानेके लिए भी 
जरूरी हो गयी Facebook  

Friday, 9 November 2012

दिवाली

 रंगीन खुशियों की
 बहार है  दिवाली 
प्रेम और उल्हास का 
त्यौहार है दिवाली 

दीप की रोशनि से 
अँधेरा मिटाना है 
सबको गले लगाके 
प्यार बाटना है 
मिठाइयां खिलाके 
खुशियाँ बढ़ाना है 
 गिफ्ट  बांटके अपनों  को 
 खुशहाल बनाना  है 

आओ खुशियाँ बाटें 
दिवाली मनाएं 
दिए जलायें 
अँधेरा मिटायें।

Wednesday, 7 November 2012

जब कोई नहीं समझता मेरी जुबान यहाँ
कैसे करूँ मै अपने दिलकी बातें बयाँ 

दीपावली

काली अँधेरी अमावस की है रात 
दीप की रौशनी ने उसे दी है  मात 

एक दीप गरीब के घर भी जले आज 


Tuesday, 6 November 2012

तस्सवुर

श्याम होते ही उनका तस्सवुर दिल को छू जाता हैं 
मुझे उसकी मौजूदगी का अहेसास दिला जाता हैं

इलाज

वो नही तो क्या , उनकी याद तो है मेरे पास 
मेरे तन्हाई का कोई तो इलाज तो है मेरे पास

गलतफहेमी


गए थे दूर, "उनके कितने पास हैं" जानने के लिए हम
पता चल गया कैसी कैसी गलतफहेमी पालते थे हम  

“वफ़ा करेंगे, निभाएंगे, बात मानेंगे” कहते थे आप हरदम
पर वो किसी और के लिए था, ये कहाँ जानते थे हम

जिन्दगी की तराह आपको  अब भी प्यार करते है हम
‘मै आपका प्यार नहीं’ ये सच जानकर भी टालते थे हम

“‘वो महेलों की राजकुमारी तुम्हे नहीं मिलेगी”’ सुनते थे हम  
पर आप मेरी तक़दीर में नहीं, ये बात कहाँ मानते थे हम 

Sunday, 4 November 2012

वक्त का तकाजा

मौत उठा लेती मुझे उसकी क्या औकात थी?
मैंने देखा, जिन्दगी ने भी इशारा कर दिया था 

इन बुलंदी को छुं लूँ, इतना कहाँ मैं  होनहार था 
वो तो मेरी तदबीर को तकदीर का सहारा था 

हर कोई छोड़ के चल दे इतना मैं नाकारा नहीं था 
कुछ दोस्तों की बेवफाई तो कुछ वक्त का तकाजा था 

Saturday, 3 November 2012

चल जिन्दगी मौत को जीना सिखलाए !


जिन्दगी क्या होती है उसको बतलाए,
चल जिन्दगी मौत को जीना सिखलाए !

जब भी ये आती है सबको रुलाती है,
चल इसे दूसरों को हँसाना सिखलाये! 

दबे पाँव ये चुपके से रुजू हो जाती है,
इसे दरवाजे पे दस्तक देना सिखलाएँ !

कमजोर लाचार इंसानों को ये हरा देती है,
इसे कमजोरों का हौसला बढ़ाना सिखला दे! 

जब ये  आये  , इसे  ख़ुशी से गले लगा ले,
'अतिथि देवो भव' ये   भी सिखला दे उसे!

Friday, 2 November 2012

अपनापन


गैरों में कहाँ था इतना दम
दिलको हमारे दे पाते गम .
तेरी जुदाई करती है आँखें नम
तुझे अपना जो माने है ये मन.
मेरी आँखें फिरसे ना हो नम
सदा रहे हममें ये अपनापन.

Thursday, 1 November 2012

मन की मन ही में रहे गयी

अल्फाज़ की जुबान कुछ और कहे गयी
बात मेरे मन की तो मन ही में रहे गयी

सुंदर चहेरा देख के नजर उसिपे ठहर गयी
मन को पढ़ पायें , वो चश्म  कहाँ रहे गयी  

गुड़  सी मीठी बोली उसकी कुछ और कहे गयी
मनके अंदरकी कटुता जाने कहाँ रहे गयी?

चहेरे पे हँसीं की चिलमन चमकती रहे गयी
दर्द-ऐ -दिलकी दास्ताँ , न जाने किधर रहे गयी

जिन्दगी की राह -ऐ-गुजर में नई राहें  मिलती गयी
जिस मंजिल की चाह  थी, वो जाने कहाँ रहे गयी?