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Showing posts from November, 2012

लग जा गले

कैसे जिउं मैं  तेरे बिना बलमा  ये तो बता जा      xx   लग जा गले  कुछ राहत मिलें  दिल को मेरें     xx नैनों के रस्ते  दिल में उतर जा  वहीँ बस जा     xx

चुनाव जो है आये

जिनकी तसवीरें सिर्फ अखबार में देखते थे वो ही नेता आज मेरे द्वार पे हैं दिखें चुनाव जो है आये जिनको संसद में चुप चाप बैठे हुए देखते थे वो ही नेता स्टेज पर दहाड़ते हुए हैं दिखें चुनाव जो है आये जिनको अब तक जनता को लुटते हुए देखते थे वो ही नेता  आज जनता में पैसे लुटाते हुए हैं दिखें चुनाव जो है आये जिनको भ्रष्ट्राचार के दल दल में फसे हुए देखते थे वो ही नेता दूसरों  पे  कीचड़ उछालते हुए हैं दिखें चुनाव जो है आये जिनको जनता की हर मांग को ठुकराते हुए देखते थे वो ही नेता आज उसी जनता से मत मांगते हुए दिखें चुनाव जो है आये

मुझे दिखें

गैरों में और अपनों में ज्यादा फर्क न दिखें  जिन्दगी में कुछ ऐसे तजुरबें    है   मुझे  दिखें  बहुत दिनों बाद महेफिल में दोस्त पुराने दिखें  बड़ी मुश्किल् से वो दोस्ती निभाते  मुझे  दिखें  'हम ही जीतेंगें' ये  कहेते हुए कई राज नेता दिखें   जनता से भीख में मत मागते वोही नेता  मुझे दिखें   महेफिल में कुछ हस्ते हुए खुशनुमा चहेरे दिखें  अकेले में मगर वोही  चहेरे  आंसूं बहाते  मुझे दिखें  बहुतसे बुज़ुर्ग लम्बी जिंदगानी जीते दिखें  मौत से मिलने को तरसते वो मुझे दिखें 

खाते है

कोयले की दलाली में सुना था हाथ  काले होते  है मगर  उसमें आपके बैंक बैलेंस तगड़े हो जाते है सुना है लोग पेट भरने के लिए दाल रोटी खाते है मगर कुछ नेता यहाँ पे घास चारा भी खा जाते है

कौन चाहता है

कौन चाहता  है   यूँ जिन्दगी से खेलना ये जिन्दगी ही मुझसे खिलवाड़ कर रही  है  कौन चाहता  है   यूँ तक़दीर से उलझाना तक़दीर ही मुझसे बार बार उलझ रही  है  कौन चाहता  है   यूँ चौकट पे सर झुकाना कोई ताकत मुझे बार बार झुका रही  है  कौन चाहता  है   यूँ मंझिले बदलते रहेना हर राह मुझे एक नयी मंझिल दिखा रही  है  कौन चाहता  है   यूँ   घमंडी बनके  रहेना हर एक सफलता मुझे मगरूर बना रही  है  कौन चाहता  है  यूँ इश्क में तनहा रहेना किसी की बेवफाई मुझे तनहा बना रही  है  कौन चाहता  है   इस तराह जिन्दगी जीना ये जिदगी ही मुझको  तिल तिल   मार रही  है 

वसंत आया : ४ हाइकु

 1 कलियाँ खिली  गुलशन महेका  वसंत आया       2 वसंत आया  गुलशन महेका  मन  बहेका       3 हिम्मत कर  असलियत दिखा  नकाब हटा       4 पढाई करो  एकाग्रता बढाओ  सफल बनो 

जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो

बहुत सुना ली दर्द-ऐ दिल की दास्ताँ  दिलकी खुशियाँ बाँट  कर तो देखो  जिन्दगी   खुबसूरत है जी कर तो देखो  बहुत पढ़ लिए पोथी और पुराण  ढाई अक्षर प्रेम के  पढ़ कर तो देखो  जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो  अपनों में बाटीं है सदा तुमने खुशियाँ  गैरों को अपना बनाकर तो देखो  जिन्दगी   खुबसूरत है जी कर तो देखो  बहुत सहे लिए जिन्दगी के तनाव  बच्चों के साथ बच्चे बन कर तो देखो  जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो  चहेरे पे नकाबों का बोझ बढ़ चूका है  चहेरे से नकाब हटा कर तो देखो  जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो  गम को न दो ताकत तुम्हे दुखी करने की  गम को हस कर गले लगा कर तो देखो  जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो  खूबसूरती पे चहेरे की मरके  क्या होगा? किसी के दिल की किताब पढ़ के तो देखो  जिन्दगी खुबसूरत है जी कर तो देखो  बहुत नाप ली धरती की लम्बाई और चौड़ाई  आसमान में अब उड़ान लगा कर तो...

कुछ शेर

माना  के ये जिन्दगी है चार दिन की  बहुत होते है यारों, चार दिन भी  ** जिससे पूछा मैं, के दिल खुश है दुनियां में कहीं ? रो दिया उसने और कहा के, कहते हैं ऐसे  ** साथ में हो तो प्रेम करो  एकांत में हो तो ध्यान करो  ** मई अब भी सोच रहा हूँ के तुम्हारी तरह  बेचकर खुदको ये बाज़ार ख़रीदा होता  ** लायी हयात आये क़ज़ा ले चली चले  अपनी ख़ुशी न आये न अपनी ख़ुशी चले 

जला दीपक

जला दीपक अँधेरे को मात दी फैला उजाला चारों तरफ अन्धकार है छाया कब सवेरा? धरा बिस्तर आसमान की छत मतवाला मैं 

मेरे हाइकु

1. मन लाचार  मोह माया का जाल  मोक्ष दुश्वार  2. चलते रहो  आगे बढ़ते रहो  मंजिल पाओ  3  हौसला रख  हिम्मत मत हार  राहें कठिन  4. लढता  रहा  आखरी दम तक  जीने के लिये 

आधुनिक जिंदगी

outdated  हो गयी जिंदगी  सपने भी download  होते नहीं  दया भाव को virus लग गया  दुःख Send  कर  सकते नही  पुरानी  यादें गायब है  delete हुई  files की   तराह  घर बिलकुल शांत है  out of  range mobile की तराह  इक्कीसवी सदी के बच्चे  है बिलकुल cute  contact  list  बढ़ रही है  संभाषण है mute  विज्ञान की गुलामगिरी में  ये कैसी हो गयी चूक  खून के रिश्ते निभानेके लिए भी  जरूरी हो गयी Facebook  

दिवाली

 रंगीन खुशियों की  बहार है  दिवाली  प्रेम और उल्हास का  त्यौहार है दिवाली  दीप की रोशनि से  अँधेरा मिटाना है  सबको गले लगाके  प्यार बाटना है  मिठाइयां खिलाके  खुशियाँ बढ़ाना है   गिफ्ट  बांटके अपनों  को   खुशहाल बनाना  है  आओ खुशियाँ बाटें  दिवाली मनाएं  दिए जलायें  अँधेरा मिटायें।
जब कोई नहीं समझता मेरी जुबान यहाँ कैसे करूँ मै अपने दिलकी बातें  बयाँ 

दीपावली

काली अँधेरी अमावस की है  रात  दीप की रौशनी ने उसे दी है  मात  एक दीप गरीब के घर भी जले आज 

तस्सवुर

श्याम होते ही उनका तस्सवुर दिल को छू जाता हैं  मुझे उसकी मौजूदगी का अहेसास दिला जाता हैं

इलाज

वो नही तो क्या , उनकी याद तो है मेरे पास  मेरे तन्हाई का कोई तो इलाज तो है मेरे पास

गलतफहेमी

गए थे दूर , " उनके कितने पास हैं" जानने के लिए हम पता चल गया कैसी कैसी गलतफहेमी पालते थे हम   “वफ़ा करेंगे , निभाएंगे , बात मानेंगे” कहते थे आप हरदम पर वो किसी और के लिए था, ये कहाँ जानते थे हम जिन्दगी की तराह आपको  अब भी प्यार करते है हम ‘मै आपका प्यार नहीं’ ये सच जानकर भी टालते थे हम “‘वो महेलों की राजकुमारी तुम्हे नहीं मिलेगी”’ सुनते थे हम   पर आप मेरी तक़दीर में नहीं, ये बात कहाँ मानते थे हम 

वक्त का तकाजा

मौत उठा लेती मुझे उसकी क्या औकात थी? मैंने देखा, जिन्दगी ने भी इशारा कर दिया था  इन बुलंदी को छुं लूँ, इतना कहाँ मैं  होनहार था  वो तो मेरी तदबीर को तकदीर का सहारा था  हर कोई छोड़ के चल दे इतना मैं नाकारा नहीं था  कुछ दोस्तों की बेवफाई तो कुछ वक्त का तकाजा था 

चल जिन्दगी मौत को जीना सिखलाए !

जिन्दगी क्या होती है उसको बतलाए, चल जिन्दगी मौत को जीना सिखलाए ! जब भी ये आती है सबको रुलाती है, चल इसे दूसरों को हँसाना सिखलाये!  दबे पाँव ये चुपके से रुजू हो जाती है, इसे दरवाजे पे दस्तक देना सिखलाएँ ! कमजोर लाचार इंसानों को ये हरा देती है, इसे कमजोरों का हौसला बढ़ाना सिखला दे!  जब ये  आये  , इसे  ख़ुशी से गले लगा ले, 'अतिथि देवो भव' ये     भी सिखला दे उसे!

अपनापन

गैरों में कहाँ था इतना दम दिलको हमारे दे पाते गम . तेरी जुदाई करती है आँखें नम तुझे अपना जो माने है ये मन. मेरी आँखें फिरसे ना हो नम सदा रहे हममें ये अपनापन.

मन की मन ही में रहे गयी

अल्फाज़ की जुबान कुछ और कहे गयी बात मेरे मन की तो मन ही में रहे गयी सुंदर चहेरा देख के नजर उसिपे ठहर गयी मन को पढ़ पायें , वो चश्म  कहाँ रहे गयी   गुड़  सी मीठी बोली उसकी कुछ और कहे गयी मनके अंदरकी कटुता जाने कहाँ रहे गयी? चहेरे पे हँसीं की चिलमन चमकती रहे गयी दर्द-ऐ -दिलकी दास्ताँ , न जाने किधर रहे गयी जिन्दगी की राह -ऐ-गुजर में नई राहें  मिलती गयी जिस मंजिल की चाह  थी, वो जाने कहाँ रहे गयी?