चल जिन्दगी मौत को जीना सिखलाए !
जब भी ये आती है सबको रुलाती है,
चल इसे दूसरों को हँसाना सिखलाये!
दबे पाँव ये चुपके से रुजू हो जाती है,
इसे दरवाजे पे दस्तक देना सिखलाएँ !
कमजोर लाचार इंसानों को ये हरा देती है,
इसे कमजोरों का हौसला बढ़ाना सिखला दे!
जब ये आये , इसे ख़ुशी से गले लगा ले,
'अतिथि देवो भव' ये भी सिखला दे उसे!
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