माना के ये जिन्दगी है चार दिन की
बहुत होते है यारों, चार दिन भी
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जिससे पूछा मैं, के दिल खुश है दुनियां में कहीं ?
रो दिया उसने और कहा के, कहते हैं ऐसे
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साथ में हो तो प्रेम करो
एकांत में हो तो ध्यान करो
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मई अब भी सोच रहा हूँ के तुम्हारी तरह
बेचकर खुदको ये बाज़ार ख़रीदा होता
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लायी हयात आये क़ज़ा ले चली चले
अपनी ख़ुशी न आये न अपनी ख़ुशी चले
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