Tuesday, 13 November 2012

कुछ शेर


माना  के ये जिन्दगी है चार दिन की 
बहुत होते है यारों, चार दिन भी 

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जिससे पूछा मैं, के दिल खुश है दुनियां में कहीं ?
रो दिया उसने और कहा के, कहते हैं ऐसे 

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साथ में हो तो प्रेम करो 
एकांत में हो तो ध्यान करो 

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मई अब भी सोच रहा हूँ के तुम्हारी तरह 
बेचकर खुदको ये बाज़ार ख़रीदा होता 

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लायी हयात आये क़ज़ा ले चली चले 
अपनी ख़ुशी न आये न अपनी ख़ुशी चले 




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