Wednesday, 31 October 2012

मधु का प्याला


जिंदगी के गम इस कदर बढे
दिल पे न रहा काबू हमारा
हाल जब हुआ बेहाल हमारा
थाम लिया हमने मधु का प्याला।

शाम को आनेका था वादा उनका
मगर कब तक करते इंतज़ार उनका
जब लगा की अब न होगा दीदार उनका
थाम लिया हमने मधु का प्याला।

दिल जिस वक्त टूटा हमारा
न निकली आह न हुआ हंगामा
न रुकी जब आँसूओं की धारा
थाम लिया हमने मधु का प्याला।

दिल हो गया है लहू लुहान
न ये चाह की तन में रहे प्राण
अब हमें चाहिए विष भरा प्याला
किस काम का ये मधु का प्याला?

हैरान


जिन्हें हम समझते थे 'खास'
उन्होंने कहे दिया आप है 'आम'
बस इतनी सी थी बात
और हो गए हम हैरान!

Tuesday, 30 October 2012

याद सताए


कोयल कुहू-कुहू करने लगी
सावन के दिन आए
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।

सूरज बादलों के संग में
लूपा छुपी खेले
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।

शीतल मंद पवन की लहेरें
इस तन मन को सहेलायें
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।

पहेले बारिश की बौछारें
मिटटी की सौंधी सुगंध फैलायें
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।

उसको भुलाना होगा


तुझे उसको भुलाना होगा
सुन ले तू ऐ मेरे दिल।
तेरे साथ नही धड़कता
अब तेरे उस यार का दिल।

नही ला पाती तेरी हँसी
अब उसके चहेरे पर हँसी ।
तेरे आंसू देख के भी अब
नही रोता उसका दिल।

नही देता है अब वो
तेरे ख़त के जवाब भी,
फिर भी क्यूँ लिखना चाहे
तू उसको ख़त, ऐ दिल?


नही चाहता हैं अब वो
तुझसे करना बातें भी,
नही सुनना चाहता हैं अब
वो तेरा हाल-ऐ दिल।

भूलना वो चाहता हैं अब तुझे
ये तू मान भी जा।
किसी और का हो चुका
अब तो तेरे यार का दिल।

तुझे उसको भुलाना होगा
सुन ले तू ऐ मेरे दिल।
तेरे साथ नही धड़कता
अब तेरे उस यार का दिल।

Monday, 29 October 2012

याद आओगे


कल तुम चले जाओगे,
हमें याद बहुत आओगे।
जब न रहोगे आसपास,
मेरे दिलको रुलाओगे।

तुम्हारी प्रगति के लिए,
अच्छे भविष्य के लिए,
बहेतर जिन्दगी केलिए,
कल तुम चले जाओगे,
हमें याद बहुत आओगे।

तुम्हे वो सब मिले,
जिसकी तुम्हे कामना हो।
तुम्हारे हर सपने,
हर ख्वाब पुरे हो।
तुम्हारा भविष्य
और उज्वल हो।
तुम्हारे हाथो में
हमेशा सफलता हो।

हम ये दुआ करते रहेंगे,
जब जाने के बाद, तुम
हमें याद बहुत आओगे।

तेरी दुनिया से आए है.


तेरी दुनिया से जरूर आए है,
हम न कोई चोर, न ही डाकू है।
उस दुनिया की एक भी चीज़
हम अपने साथ नही लाये है।
सुन ले तू, ओ दुनिया के मालिक
अरे जिसे हम साथ ले कर गए थे,
वो सोने सा देह भी
हम वहीं पर छोड़ आए है।

Sunday, 28 October 2012

पूरा चाँद

आज पूर्णमासी को गगन  में दीखता है पूरा चाँद
 कभी मै महेबूब का चहेरा देखू  और कभी पूरा चाँद 

दो दिनसे भूखे गरीब बच्चे को  रोटी सा दिखे पूरा चाँद 

मौत के बाद


जिन्दगी भर जलाके इनको चैन कहाँ?
मेरे शब् को जलाने के लिए  
देखो कितने  लोग आये है यहाँ.

पूरा शब् जलने तक इनको करार कहाँ?
जब तक राख न हो जाऊं 
कुछ लोग जरूर रुकेंगे यहाँ.

नाम-ओ निशान मिटाएँ बगैर इनको आराम कहाँ?
मेरी अस्थियाँ गंगा में बहाने 
कल फिर  यही  लोग आयेंगे यहाँ. 

Saturday, 27 October 2012

ख्वाब


ख्वाब में तुम मिलोगी 
ये ख्वाब में भी न सोचा था
जिस ख्वाब में तुम आई
वो ख्वाब मैंने ख्वाब में देखा था

अहेसास

अब चाहे शौख से मुझे क़त्ल कर दो यारों
मै  तो अपनी जिन्दगी जी चूका यारों.

मै अपनी इस जिन्दगी का क्या करूँ यारों
जीने का अहेसास तो कबसे मर चूका यारों.

अब चाहे इस गुल को शाख से तोड़ दो यारों
वो अपनी खुश्बू गुलशन में फैला चूका यारों.

तेज होने दो अब रंज-ओ-गम की बारिशें यारों
ये दिल तो कबका पत्थर बन चूका यारों.

अफासानें  अपनों के  रंज-ओ-गम के  न सूनाओ हमें
अश्कों का समंदर तो कबका सुख चूका यारों.

इस जिस्म को अब शौख से जला दो यारों
ये घर तो मै कबका छोड़ चूका यारों.

Friday, 26 October 2012

आइना


मेरे पास एक आइना था,
जिसमें मै ख़ुद को देखता था.
कपडों और चहेरे के दाग दूर कर के,
सुंदर मैं बन जाता था।

एक दिन जब मै आईना देख रहा था,
अचानक वो टूट गया , टुकडों में वो बट गया।
मेरा दिल भी टूट गया , क्या करूँगा मै अब
सोचकर मै वहाँ से चलने लगा।

तभी उन टुकडो ने कहा
"हमारी तरफ तो देखो जरा"।
मैंने देखा तो हर टुकडें में,
मै,वैसा ही सुंदर दिख रहा था।

फिर मै ये सोचने लगा
जब कोई दिल तोड़ता है
और दिल टुकडों में बंट जाता है
तब भी क्या दिल के हर टुकड़े में
वो बेवफा सनम भी उतना ही सुंदर
दिख पाता है?

दिल को शीशा कहने वालो ने
कभी इस फर्क के बारें में सोचा है?

जुदाई


ये दुनिया समजती है ,
की हम दोनों अलग हो गये है।
इन्हे कैसे समझायें,
की हम दूर रहकर भी कितने पास है?
आपके ह्रदय सागर की लहेरें,
मेरे मन के किनारे भिगोती है।
आपकी धुपबत्ती की खुशबू ,
मेरी सांसो में भर जाती है।
आपके महल में जलता दिया ,
मेरी झोंपडी को रोशन करता है।
लोग कहेते है जुदाई में,
मेरे होठ फिक्के पड़ गये है।
वो क्या जाने की ,
जब आप मुझे चूमना चाहते है ,
मेरे होठों की लाली
आपके होठों तक पहुँच जाती है।
ये दुनिया समजती है ,
की हम दोनों अलग हो गये है।
इन्हे कैसे समझायें,
की हम दूर रहकर भी कितने पास है?

Thursday, 25 October 2012

गम


गम इस बातका नहीं है मुझे की चश्मों  से अश्क बहते है
गम इस बात का है की आस्क पोंछने वाला कोई नहीं

होले होले


ये क्या होने लगा है मुझे
की तू  खुबसूरत लगने लगी
होले होले; होले होले

तू  आने से पहेले ही
तेरी  आहट आने लगी
होले होले; होले होले

तेरे दर से गुजरते वक्त
चाल हो जाती  मेरी मद्धम
होले होले; होले होले

तुझसे नज़र चुराते चुराते
देख लेता हूँ तुझे चुपकेसे
होले होले; होले होले

कोई समझे या ना समझे
मेरा प्यार तू समझ लेना
होले होले; होले होले

 ना समझ पाई तू प्यार मेरा
तो जीते जी मर जाऊंगा मैं.
होले होले; होले होले

Wednesday, 24 October 2012

नामुमकिन नही

तेरे बगैर जिंदगी जीना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही 

टूटे दिल का इलाज करना....
मुश्किल है, नामुमकिन नही

तेरी यादों को भुला पाना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही

तेरी जगह, किसी और को देना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही

आँसुओं को आंखों में रोकना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही

चहेरे पर झूठी हँसी लाना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही

तेरी खुशी के लिए इतना करना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही

हर मुश्किल को आसां करना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही


नामुमकिन को मुमकिन करना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही


मन करता है


कभी कभी तनहा रहने का मन करता है
किसी से न कुछ कहने का मन करता है
दिल में जब तेरी याद बस जाती है
बस उन लम्हों को जी लेने का मन करता है

Tuesday, 23 October 2012

जिंदगानी


याद है मुझको, एक दिन, मेरे घर भी आई थी वो
दिल में उमंग और मन में ख़ुशी भर गई थी वो

मनमें शीतलता और दिल में धड़कन भर गई थी वो
मेरी आँखों को सपनो की महेफिल जैसे दे गई थी वो

सबकुछ अच्छा लग रहा था, मन मयूरा नाच रहा था
नया कुछ करने का हौसला, मेरे मनमें गई थी वो

पिछले कुछ दिनोसे वो मुझसे न जाने क्यूँ  रूठी हुई है
ठोकर पे ठोकर खाके मेरी  हालत बुरी हुई है 

 हें भगव मेरी एक अर्ज सुन ले, और कुबूल कर ले 
मेरी जिंदगानी को एक बार फिरसे मेरे घर भेज दे

गुफ्तगुं


गर कम में हो हासिल,  तो ज्यादा मत करो बयां ;
अल्फाज़ कीमती हैं आपके, उसे यूँ ही न करो जायां;

गुफ्तगुं में कौन सुने है दुसरें की, हर कोई करता है अपनी बयां.

गम का मौसम


गम-ऐ-दरिया में डूबने का मौसम आया है,
प्यारे दोस्तों से बिछड़ने का मौसम आया है।

यूँ तो प्यार से हमने की है बहुत गुफ्तगू ,
लगता है अब तन्हाईयों का मौसम आया है ।

यूँ तो जिन्दगी ने हमें दी है बेशूमार खुशियाँ
गम से पहेचान करने का अब मौसम आया है।

दोस्तों को अपने गम से क्यूँ दुखी करें नादाँ?
अकेले इस आग में झुलसने का मौसम आया है।

Monday, 22 October 2012

बेटी बोली


माँ की कोख से बेटी बोली,
मुझे भी जन्म लेने दे, माई।
मै भी तेरे काम आउंगी,
मुझ पे भरोसा रख तू , माई।

मुझको भी तू भाई की तरह,
स्कूल-कोलेज में भेजना, माई,
पढ़-लिखकर, काबिल बनकर,
पैरों पे अपने खड़ी होउंगी, माई।

कराटे, जूडो, मार्शल आर्ट
सब सीखूंगी भाई के साथ।
अपनी रक्षा ख़ुद करुँगी,
तू मत कर चिंता , माई।

अपने लिए लड़का भी,
तू कहे तो, ख़ुद ही ढुँड लुंगी , माई।
शादी और दहेज़ का खर्चा भी,
अपनी कमाई से जोड़ लुंगी, माई ।

बुढापे में आप और तात,
मेरे घर में रहेना, मेरे साथ,
बुढापे की लाठी बनुंगी,
बिल्कुल सच कहती हूँ , माई।

ये तो सोच तू ,मेरी माई,
सब करे तेरे जैसा, माई,
बेटे जनने के लिए कहाँ से
फ़िर मिलेगी कोई माई?

इसी लिए कहती हूँ ,माई
मुझको भी जन्म लेने दे, माई.

Sunday, 21 October 2012

याद

वो नही तो क्या , उनकी याद तो है मेरे पास 
मेरे तन्हाई का कोई तो इलाज तो है मेरे पास

एक शायरी


हे सूर्य, मुझे तेरी दया आती है कभी कभी
देखि है तूने प्रणय की एक रात भी कभी?

Saturday, 20 October 2012

चहेरे पे चहेरा

दिल में दबाये गम, 
चहेरे पे झूठी हँसी लिए,
अपने आप को छलता रहा, 
बेदर्द ज़माने के लिए| 

सूरत-ऐ-आइना काफी था 
दिदार-ऐ-दिल के लिए,
किसने कहा था मियां
चहेरे पे चहेरा लगाने के लिए ?

चार दिन जवानी के काफी थे
दास्तान-ऐ-मुहबत के लिए,
क्यूँ मांगी थी दुआ रब से
लम्बी जिंदगानी के लिए ?

रहेमत परवर दिगार की काफी थी 
जिन्दगी की राह-ऐ-गुज़र के लिए 
किसने कहा था मियां,
खुद को खुदा समझने के लिए?

मै समझ नही पा रहा हूँ.


सच नही समझ पा रहा हूँ, सत्व नही समझ पा रहा हूँ

हे रंग-बिरंगी दुनिया, मै तेरे रंग समझ नही पा रहा हूँ.

देश-हित के लिए ख़ुद का , और ख़ुद के स्वार्थ के लिए देश बंधुओ का,

खून बहाने वाले, दोनों ही राज नेता क्यूँ कहेलाते,

मै समझ नही पा रहा हूँ.


दोस्त के लिए जो जान दे, वो है सच्चे दोस्त

पर स्पर्धा में खुदके दोस्त का गला काटने वाले दोस्त

मै समझ नही पा रहा हूँ.


समझ सकता हूँ मै, एक दुसरे के होने की इच्छा रखने वाले प्रेमी

परन्तु एक दुसरे को, हमेशा के लिए भूलने वाले प्रेमी,

मै समझ नही पा रहा हूँ.


वैसे तो अपनी लाडली बेटी के लाड ही करती है माँ

परन्तु अपने ही लाडली को जन्म से पहेले ही मार देने वाली माँ


मै समझ नही पा रहा हूँ.


वैसे तो आप्त जनोके दुःख लाते हैं आंखोमें अश्रु

पर उनकी खुशी में भी क्यूँ आखोमे आते है हर्षाश्रु


मै समझ नही पा रहा हूँ. 

सम्हल जा तू


जहाँ भी देखूं धुंधला सा दिखाई देता है

हर अपना अब बेगाना दिखाई देता है.



हर हँसते चहेरे की आँख में आँसू दिखाई देता है

हर इन्सान अब यहाँ झूठा दिखाई देता है.



हर दोस्त के हाथ में खंजर दिखाई देता है

हर इन्सान अब दगाबाज दिखाई देता है.


किसे फुर्सत जो सुने तेरी दास्तान् ए दिल-ऐ नादां

हर कोई यहाँ अपने आप में मशगुल दिखाई देता है.


अब तो सम्हल जा तू, ओ मेरे दिल

गैरों में भी कभी कोई, अपना दिखाई देता है ?

Shayari

दर्द-ऐ-दिल लफ़्ज़ों में बयां करते है
लोग कहते है, हम शायरी करते है.

ग़ज़ल

दर्द-ऐ-दिल से राह-ऐ- गुजर है ग़ज़ल
दर्द-ऐ-दिल से रहत भी है ग़ज़ल

उनका महेफिल में तशरीफ़ लाना है ग़ज़ल
महेफिलसे उठके चले जाना भी है ग़ज़ल

उनका नैनों से नैना मिलाना है ग़ज़ल
चुपके से नज़रें चुराना भी है ग़ज़ल

जान-ऐ-तमन्ना के लिए दिल की तड़प है ग़ज़ल
दिलदार का दीदार होना भी है ग़ज़ल

सांसों का मद्धम चलते रहेना है ग़ज़ल
मौत की बाँहों में मिलती राहत भी है ग़ज़ल

जिदगी का सफ़र तय करे कैसे?



आप की शिकायत आप ही  से  करे कैसे?
जिन्दगी की मुश्किलें आसन करे कैसे?

आँखे तो मनका दर्पण है
हाल-ऐ-दिल छुपाये कैसे?

घुट घुट के जिए है उम्रभर हम 
मनकी बात जुबान से करे कैसे?

लोग सुनके "वाह वाह" करते है
दर्द-ऐ-दिल बयां करे कैसे?

हर गाम एक नया इम्तिहान है
जिदगी का सफ़र तय करे कैसे?