जहाँ भी देखूं धुंधला सा दिखाई देता है
हर अपना अब बेगाना दिखाई देता है.
हर हँसते चहेरे की आँख में आँसू दिखाई देता है
हर इन्सान अब यहाँ झूठा दिखाई देता है.
हर दोस्त के हाथ में खंजर दिखाई देता है
हर इन्सान अब दगाबाज दिखाई देता है.
किसे फुर्सत जो सुने तेरी दास्तान् ए दिल-ऐ नादां
हर कोई यहाँ अपने आप में मशगुल दिखाई देता है.
अब तो सम्हल जा तू, ओ मेरे दिल
गैरों में भी कभी कोई, अपना दिखाई देता है ?
हर अपना अब बेगाना दिखाई देता है.
हर हँसते चहेरे की आँख में आँसू दिखाई देता है
हर इन्सान अब यहाँ झूठा दिखाई देता है.
हर दोस्त के हाथ में खंजर दिखाई देता है
हर इन्सान अब दगाबाज दिखाई देता है.
किसे फुर्सत जो सुने तेरी दास्तान् ए दिल-ऐ नादां
हर कोई यहाँ अपने आप में मशगुल दिखाई देता है.
अब तो सम्हल जा तू, ओ मेरे दिल
गैरों में भी कभी कोई, अपना दिखाई देता है ?
हर इन्सान अब यहाँ झूठा दिखाई देता है.
हर दोस्त के हाथ में खंजर दिखाई देता है
हर इन्सान अब दगाबाज दिखाई देता है.
किसे फुर्सत जो सुने तेरी दास्तान् ए दिल-ऐ नादां
हर कोई यहाँ अपने आप में मशगुल दिखाई देता है.
अब तो सम्हल जा तू, ओ मेरे दिल
गैरों में भी कभी कोई, अपना दिखाई देता है ?
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