मेरी हिंदी कवितायेँ
Pages
Home
MAJHYA MARATHI KAVITA
Sunday 28 October 2012
पूरा चाँद
आज
पूर्णमासी
को गगन में दीखता है
पूरा
चाँद
कभी मै महेबूब का चहेरा देखू और कभी पूरा चाँद
दो दिनसे भूखे गरीब बच्चे को रोटी सा
दिखे
पूरा चाँद
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment