Saturday 20 October 2012

मै समझ नही पा रहा हूँ.


सच नही समझ पा रहा हूँ, सत्व नही समझ पा रहा हूँ

हे रंग-बिरंगी दुनिया, मै तेरे रंग समझ नही पा रहा हूँ.

देश-हित के लिए ख़ुद का , और ख़ुद के स्वार्थ के लिए देश बंधुओ का,

खून बहाने वाले, दोनों ही राज नेता क्यूँ कहेलाते,

मै समझ नही पा रहा हूँ.


दोस्त के लिए जो जान दे, वो है सच्चे दोस्त

पर स्पर्धा में खुदके दोस्त का गला काटने वाले दोस्त

मै समझ नही पा रहा हूँ.


समझ सकता हूँ मै, एक दुसरे के होने की इच्छा रखने वाले प्रेमी

परन्तु एक दुसरे को, हमेशा के लिए भूलने वाले प्रेमी,

मै समझ नही पा रहा हूँ.


वैसे तो अपनी लाडली बेटी के लाड ही करती है माँ

परन्तु अपने ही लाडली को जन्म से पहेले ही मार देने वाली माँ


मै समझ नही पा रहा हूँ.


वैसे तो आप्त जनोके दुःख लाते हैं आंखोमें अश्रु

पर उनकी खुशी में भी क्यूँ आखोमे आते है हर्षाश्रु


मै समझ नही पा रहा हूँ. 

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