मेरी हिंदी कवितायेँ
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MAJHYA MARATHI KAVITA
Tuesday 23 October 2012
गुफ्तगुं
गर कम में हो हासिल
,
तो ज्यादा मत करो बयां
;
अल्फाज़ कीमती हैं आपके
,
उसे यूँ ही न करो जायां
;
गुफ्तगुं में कौन सुने है दुसरें की
,
हर कोई करता है अपनी बयां.
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