याद है मुझको, एक दिन, मेरे घर भी आई थी वो
दिल में उमंग और मन में ख़ुशी भर गई थी वो
मनमें शीतलता और दिल में धड़कन
भर गई थी वो
मेरी आँखों को सपनो की महेफिल जैसे
दे गई थी वो
नया कुछ करने का हौसला, मेरे मनमें गई थी वो
पिछले कुछ दिनोसे वो मुझसे न जाने क्यूँ रूठी हुई है
ठोकर पे ठोकर खाके मेरी हालत बुरी हुई है
हें भगव मेरी एक अर्ज सुन ले, और कुबूल कर ले
मेरी जिंदगानी को एक बार फिरसे मेरे घर भेज दे
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