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Showing posts from 2013

तू धीरज रख

अगर कहाँ है, तो आएगी, तू धीरज रख ऐसी जल्दी नहीं चलेगी, तू धीरज रख वक्त बुरा चल रहा है, तो क्या हुआ ए  दिल ? अच्छा वक्त भी आएगा, तू धीरज रख अगर आज तुझे उनकी याद सता रही है तो वो जरूर आएँगे, तू धीरज रख अगर तुमने उसे सच्चा प्यार किया है तो वो भी प्यार करेगा, तू धीरज रख अगर तू जी जान से महेनत कर रहा है तो फल भी जरूर मिलेगा, तू धीरज रख

काश! ऐसा भी दिन आये !

काश! ऐसा भी दिन आये मेरे ख्वाबों में आने वाली अचानक सामने आ जाये काश! ऐसा भी दिन आये वो मेरे सामने आ जाये और मुझे देख शर्मा जाये काश! ऐसा भी दिन आये हमारे सामने देखके  वो बेवजह मुस्कुरा जाये काश! ऐसा भी दिन आये मेरे दिलकी  बात वो बिना कहे ही समझ जाये काश! ऐसा भी दिन आये उसके दिल कि बात वो नज़रों से ही बयान कर जाये तुषार खेर 

समेट लूँ

जी करता है सब कुछ समेट लूँ पर जिदगी को कैसे समेट लूँ ? अगर तू समा जाए मुझमें तो मै बहुत कुछ समेट लूँ ! बहुत फासलें है हमारे दरमियाँ तूम कहो तो थोडा समेट लूँ !  फ़ैल जाऊं मैं पूरी दुनियांमें या  दुनियां को मुझमें समेट लूँ ? मैं  अकेला, आस पास कोई नहीं तन्हाईको भला कैसे समेट लूँ ? तुषार खेर 

आज कल !!

डिग्रीओं  का बोज ढो रहाँ  हूँ आज कल! पढ़ा लिखा हूँ, पर  बेकार हूँ आज कल !! संक्रमक रोग कि तरह हरतरफ फैला है ! पैसे खाने का ये  नया रोग आज कल !! दुश्मनों से भी दोस्त दो क़दम आगे है सीधा छाती पे करते हमला आज कल !! अँधेरी गलियों में मैं अकेले खड़ा हूँ ! सायें का भी साथ नहीं हैं  आज कल !! "पैसा ही सबकुछ है" कहे ये ज़माना कैसे सम्हालूँ मैं ईमान आज कल !!

अच्छा लगता है!

क्या इंतज़ार करना अच्छा लगता है? क्यूँ कहता है? "सबकुछ अच्छा लगता है!" बगैर गलती के जो बन्दा झुक जाता है, परवर दिगार  को वोही अच्छा लगता है! मेरा कहा सबकुछ चुपचाप सुनता है, इसीलिए मुझे आईना अच्छा लगता है! जब भी मिलता है दिल दुखाता  है, फिर भी वो सख्श अच्छा लगता है! जब भी याद आता है, मुझे बहुत रुलाता है उसका याद आना, फिर भी, अच्छा लगता है! तुषार खेर 

तक़दीर

भले मेरी तक़दीर फकीरों जैसी है फिर भी जिन्दगी अमीरों जैसी है कभी यहाँ तो कभी वहां भटकता  है मेरे मन की हालत समीर जैसी है कल मेरी  सोने जैसी हो सकती है चाहे मेरी आज पीतल जैसी है राम भी मेरा और रहीम  भी मेरा है मेरी सोच भी आज कबीर जैसी है मोह माया के पाश मैं ऐसे फसे है शायद हालत मेरी कैदी  जैसी है 

ज़िन्दगी !!

दर दर की ठोकरें  खिला  रही है ये ज़िन्दगी ! न जाने कहाँ ले जा रही है ये ज़िन्दगी !! रोज ही रामायण और रोज ही महाभारत ! रोज एक नया अध्याय  है ये ज़िन्दगी !! कभी हारके जीताती है ,कभी जितके हराति है! लगता है कोई खतरनाक खेल है ये  ज़िन्दगी  !! कभी सुबह से  श्याम तक का हँसी सफ़र कभी मध्यान में ही अस्त है ये  ज़िन्दगी  !!

हो गई!

सोचा था उससे जल्दी हो गई, आत्मा मेरी भी  मैली हो गई! मैंने हँसना जब सिख लिया तो, दुनिया वालों को मुश्किल हो गई! ज़िन्दगी में इतनी मुश्किलें बढ़  गई, मौत की राह अब आसन हो गई! आईने ने न जाने क्या कहे दिया मुझसे मेरी पहेचान  हो गई! मौत के बाद भी आँखे खुली रहे गई कहेता था 'इंतज़ार की आदत  हो गई!' तुषार खेर 

देखना है!

कैसे हैं तुम्हारे हाल, देखना है! मेरी दुआओं का असर देखना है!! बड़े ऊपर से आप निचे गिरे हैं, जनाब, गिरके कैसे सम्ह्लें हैं, ये देखना है ! सुना है मौत के मुह से लौटे है आप, कैसे मौत को दी है मात, देखना है! मुश्किल हालत मैं आपने सम्हाला कई सख्सों को सम्हालने वाला खुद लडखडाया कैसे, ये देखना है !

जो तुझको मंजूर

इंसानों की इस बस्ती में बना दिया मुझको लंगूर! जो तुझको मंजूर भगवंत, वो सब मुझको भी मंजूर!! सब साहब बनके घूमते है मुझसे कहेलावाता “जी हुजुर”! जो तुझको मंजूर भगवंत, वो सब मुझको भी मंजूर!! उनके लिए सेब और अनारदाना मुझको नहीं दे पाता तू खजूर! जो तुझको मंजूर भगवंत, वो सब मुझको भी मंजूर!! उनके वास्ते बँगला और गाडी, मगर मेरे ही लिए खट्टे अंगूर! जो तुझको मंजूर भगवंत, वो सब मुझको भी मंजूर!! एक दिन मेरा नसीब बदलेगा इंतज़ार करना मुझे है मंजूर! जो तुझको मंजूर भगवंत, वो सब मुझको भी मंजूर!! तुषार खेर

और मैं हूँ

ग़मों की बारिशे है और मैं  हूँ ! जीने की ख्वाइशें है और मैं  हूँ ! ! कठिन राहें गुजर है और मैं  हूँ ! ! होंसलें बुलंदी पर  है और मैं  हूँ ! सिने  में चुभन  है और मैं  हूँ ! मिलने की आस है  और मैं  हूँ ! ! दिलमें तन्हाई है  और मैं  हूँ ! यादों की  दस्तक है और मैं  हूँ !! लफ्जों की खोज  हैं और में हूँ ! कोरा  कागज़  हैं और मैं  हूँ !! तुषार खेर 

ज़ज्बात

गुस्सा हुए लोग तो पथ्थर तक गये पर दोस्तो  के हाथ तो खंजर तक गये जुल्फ़े  न थी कम जरा भी महेक में पागल थे हकीम जो इत्तर तक गये बगैर  फायदे के लोग किसीको नाही भजते जन्नत चाहिये थी तो अल्लाह तक गये उसकी आंखो का नशा कुछ कम न था न जाने कयुं लोग मयखाने तक गये? जब अल्फाझ न कहे पाये दिल की लगी ज़ज्बात नजरों से नज़र  तक गये

गुफ्तगू

अगर वक्त हो रूबरू तो श्याम से गुफ्तगू करनी है  भँवर को समझ पाऊ तो प्रवाहसे गुफ्तगू  करनी है बहुत दिनों से कुछ कहेने की कोशिश में लगा हूँ  सही लब्ज़ मिले तो कागज़से  गुफ्तगू  करनी है न कोई मेरा यहाँ , न मै  किसीका, ये  जानता हूँ  मगर मिले कोई अपना तो प्यारसे  गुफ्तगू  करनी है ढूंड  रहा हूँ  मेरे अस्तित्व का मतलब चारो और  अहम न खाए चोट तो आईने से  गुफ्तगू  करनी है मिलता है हर इंसान एक मुखौटा पहेने हुए यहाँ  मिले सच्चा इन्सान तो तहे दिलसे  गुफ्तगू  करनी है हमेंशा तुम्हारी यादों में घिरा रहेता हूँ तन्हाई मिले थोड़ी तो खुदसे गुफ्तगू करनी है तुषार खेर 

खुश रहो

खुश रहो बस खुश रहो! यारों हमेशा खुश रहो !! सुख मिलें या दुःख मिलें  हर हाल में तुम  खुश रहो !! खाने  को पञ्च पकवान  नहीं , दल रोटी में तुम  खुश रहो !! आज यारों का साथ नहीं, तन्हाई में भी  खुश रहो !! आज वो रूठा रूठा  सा है  उसकी इस अदा पे    खुश रहो !!   नहीं मिल पायी तुम्हे प्रियतमा  उसकी यादों में तुम    खुश रहो !! जिसको तुम देख नहीं पाते  उसकी आवाज़  सुनके    खुश रहो !! कल क्या होगा किसको पता?  इसलिए आज में ही    खुश रहो !! जिन्दगी सिर्फ चार दिन की है  इसलिए हर पल में    खुश रहो !!
बरसा पानी  तन में लगी आग  वो नहीं पास     *** न जाने आज की बारिश में क्या बात है  बरस रहा पानी, और तन में लगी आग है        **** बरसा पानी प्यास मिटी धरा की  पर मेरा क्या?

जिंदगानी

  ये  कौन मुझे मेरे होने का भ्रम दे रहा है? ये कौन है जो मेरे बदले, मुझे जी रहा है?                         **  हम उनके लफ्ज़ सुनने को तरसते रहे.  ख़ामोशी सब कहे गई, हम  तरसते रहे.                         **  नहीं चाहिए ए  खूदा, दो पल की ख़ुशी तेरी  दर्द पाके तुझसे, लिखी है ये शायरी मेरी                           ** जागु तो खयालो सी लगे  सोऊ  तो ख्वाब सी लगे  मेरी खुदकी जिंदगानी  मुझको अजनभी सी लगे                           ** एक रास्ता भुलने से मेरी तक़दीर बदल गई  कभी सोची न थी, ऐसी मंझिले मुक्कमल हुई 

त्रिवेणी

                            १  जाते जाते अपना सब कुछ् ले गई , यहाँ तक की सब यादें भी साथ ले  गई पर  गम को साथ ले जाना भूल  गई  !!                       २  स्मार्ट फ़ोन, टेबलेट, लैपटॉप और टीवी है  कार , बंगला और तगड़ा बैंक बैलेंस भी है  इस दिल को  फिर भी  क्यूँ  चैन नहीं है ?

याद

साँसों के चलने  की वजह याद है! मेरे जिन्दा होने की वजह याद है!! हर चीज़ आम है उसकी गलीमें, वहां पैर थमने की वजह याद है! यूँ तो जिन्दगी हो गयी है बेरुखी, चहेरे के मुस्कान की वजह याद है! आँखों की ये चमक बे-वजह नहीं है! उसमें आके बसी तुम्हारी ही याद है! पता नहीं तुम्हे मैं  याद हूँ के नहीं? मेरे दिलमें तो बसी तुम्हारी ही याद है! जुदाई तुम्हारी, मैं  हसके सहे रहा था, आँखों में आये आंसू की वजह याद है !

मेरा यार मिलें !

एक ऐसी श्याम मिले, जब दिल को शुकून मिले! हम जिन्हें याद करें, उनका हमें दीदार मिले! दुःख दर्द की क्या  कमिं है ज़माने में ? कभी सुख के सागर  की लहेरें मिलें ! किया बहुत इंतज़ार  पलकें  बिछायी बार बार  अभ जीना हुआ दुशवार  अब तो मेरा यार मिलें !

हो जाये!

काश कभी कोई सपना  भी  सच  हो जाये! जिसकी तलाश हो, उससे सामना हो जाये! बंद किए बैठा हूँ,  दिल के दरवाजे   मैं  तुम जो आओ, शायद  वो खुले हो जाये ! सुना है हर रात की सुबह होती है  मेरे गम का भी शायद अंत हो जाये ! बरसों  पुराना  दोस्त मिल गया है  तो  शायद कोई पुरानी  याद ताज़ा हो जाये ! संपूर्ण विश्वास  से  तुम उसकी भक्ति करो  तुम्हे शायद भगवान् के दर्शन  हो जाये!  तुषार खेर 

साथ

सूरज से रोशनी,  सागर से लहेरें, फूलों से खुशबु,  जब अलग होंगे  तब मेरी जान  मैं  तुमसे जुदा  हो सकता हूँ 

मैं जब मर जाऊँगा

मैं  जब मर जाऊँगा,  तब मुझे  मत जलाना ! जिन्दगी भर जलता रहां हूँ,  अब  मुझे  और  मत  जलाना!! जब मेरा अंत होगा,  तब तुम मत रोना ! जिन्दगी भर रोता रहां  हूँ ,  अब और रुदन मत सुनाना !! मेरे मृतदेह  पें तुम  कफ़न मत डालना ! जिन्दगी भर बे-आबरू किया,  अब ढकने का नाटक मत करना !! मेरी अर्थी का बोज़  अपने कंधो पे मत उठाना ! जिन्दगी भर अपना बोझ खुद उठाया है,    अब  उपकार का  बोझ मुझे मत देना !! मेरे निष्प्राण शारीर पे फूल हार मत चढ़ाना ! मेरी वेद्नाके गंध को  फुलोके  सुवास में मत छुपाना !! मेरे शारीर की मिटटी को  आखरी प्रणाम मत करना ! जिदगी  भर पैरो से मारी ठोकरे  अब पैर मेरे मत छूना ! तुषार खेर 

आँखों में

दिखे ममता माता की आँखों में ! कर्तव्य  दिखे पिता की आँखों में !! दिखे ज्ञान गुरु  की आँखों में ! आदर  दिखे  शि ष्य  की आँखों में !! दिखे बदला दुश्मन की आँखों में ! सहयोग  दिखे  मित्र  की आँखों में !!   दिखे घमंड अमिर की आँखों में ! आशा  दिखे  गरीब  की आँखों में !! दिखे समर्पण भक्त की आँखों में ! करुणा  दिखे  भगवान्  की आँखों में !! तुषार खेर 

मैं

दिन में सपने देखू मैं  रात  भर जगता रहूँ मैं  यूँ ही कविता लिखुं मैं  जग में पगला बनूँ मैं  मनमें मनोरथ रचू मैं  आशाओं पर जिऊ मैं  खोया खोया रहूँ मैं  मुझको ही धुंडू  मैं  चहेरे पे हसीं रखूं मैं  मन हि मन में रोऊ मैं  Tushar Kher

मरते वक्त मैं तुझे अपने साथ ले जाऊंगा

ए मेरी जिन्दगी , मैं  तुझे बहुत चाहता हूँ  तुज पे  मैं दिल-ओ-जान  छिडकता हूँ  तेरे बगैर मैं एक पल भी न रहे पाऊंगा  मरते वक्त मैं तुझे अपने साथ ले जाऊंगा  तुषार खेर 

थोडा तो पास आ

है प्यार का सवाल, थोडा तो पास आ मत खड़ी  कर दीवार,  थोडा तो पास आ चिल्ला के कहे सकू, नहीं है ये ऐसी बात  सुनना हो दिलका हाल, थोडा तो पास आ  दूरियाँ तो प्यार में बन सकती है बाधा    सोचके ये   ख़याल , थोडा तो पास आ  दिलको ठंडक मिलती है,मुहूबात की आग से  देखने को ये कमाल,  थोडा तो पास आ तेरी जुदाई तो मार डालेगी मुझे यार  करने आखरी दीदार,  थोडा तो पास आ तुषार खेर 

बेटा - बेटी

अगर  बेटा  मेरा  वारिस है, तो पारस  मेरी बेटी है । अगर मेरा बेटा मेरा वंश है,   तो  मेरा  अंश मेरी बेटी है । अगर बेटा  मेरी आन है , मेरा गुमान मेरी बेटी है। अगर  बेटा  मेरा भाग्य है, तो   विधाता मेरी बेटी है । अगर मेरा बेटा  आग है, तो बाग़ मेरी बेटी है !  अगर मेरा बेटा  दवा है, तो दुआ मेरी बेटी है। इसी लिए कहेता हूँ   यार्रों  क्या फर्क पड़ता है  आने वाला बच्चा  बेटा है या बेटी है!

वोही गम

 बरसों के बाद आज फिर मुहसे शायरी निकल गयी ।  मेरे मौन की मिलकियत न जाने कहाँ खो  गयी ।। वोही गम, वोही दिल का टूटना, वोही अधूरे ख्वाब । इन सब की अब जिन्दगी को आदत सी हो गयी ।। कहाँ से लाऊ मेरे रोने का सबुत ए दोस्त मेरे? दो पल की  मुस्कुराहट मेरी तस्वीर में कैद हो गयी । क्यां बताऊँ तुम्हें मेरे आँखों  की नमी का राज़ ? दिलमें रहेने वाली अब  खयालो से भी बहार हो  गयी । मेरे  दिल के गम तुम्हे कैसे दिखेंगे जनाब ? जूठी हसीं के पीछे उन्हें छुपाने की आदत हो गयी । आज कल मुझे कुछ भी याद नहीं रहेता। लगता है मेरे बुढापे की शुरुआत हो गयी।। तुषार  खेर 

प्रभु उवाच ...

  सुबह सवेरे पंछी का गान बनके  तुमको  संगीत सुनाने  आता हूँ। सूरज के किरणों से सज-धज के  तुम्हारे दर्शन करने आता हूँ। मंदीर में तुम्हारे प्रवेश करते   ही  घंट नाद बन के  स्वागत    करने आता हूँ। रात में जब तुम तन्हा हो जाते हो  चाँद बनके तुम से गुफ्तगू करने आता हूँ। सागर किनारे ठंडी हवा बनके  तुम्हारी थकान मिटने आता हूँ। सागर की लहेंरों  का रूप ले के  तुम्हारा पद-प्रक्षालन  करने आता हूँ। और  तुम्हे मुझसे  ये शिकायत है की  मैं तुमसे मिलने कहाँ आता हूँ? हे मेरे भक्त मुझपे भरोसा रख  मैं हमेशां तुम्हारे साथ ही आता हूँ। तुषार खेर 

माना की

माना की    वक्त की मार  बड़ी तगड़ी होती है  पर कई जख्मों की दवा सिर्फ वक्त के पास होती है । माना की जिन्दगी में बड़ी तकलीफें होती है  जब तक मौत न आये उन्हें सहेनी होती है । माना की प्यार -मुहोबात में बड़ी ताकत होती है  मगर  प्यारमें दिल टूटने की  आवाज़ नहीं होती है। माना  की  किसीकेचहेरें पे हसी आना अछ्छी बात होती है  मगर दूसरों  की बुरी हालत पे आना बुरी बात होती है । माना  की मुश्किलें हर  इंसान को झेलनी होती है  मगर सकारात्मक तरीके से उसे मात देनी होती है । तुषार खेर 

क्या करें?

न वो तो तेरी सुनता है न ही मेरी सुनता है उपरवाला तो बस अपने  मन की करता है न मंदीर में रहेता है न मस्जिद में रहेता है खुदा अपना ठिकाना कब जग-जाहिर करता है? सूरज तो रोज डूबता है और रोज निकलता  है पर अपने गम की रात का कब सवेरा करता है? कभी इस फुल को चूमता है तो कभी उस फुल को चूमता है नादान भंवरा कब किसी फूलको हमेंशा अपनाया  करता है न हिन्दू को छोड़ता है न मुसलमान को छोड़ता है आतंकवादी का हुम्ला  कहाँ मजहब देखा करता है?

हँसी आई

कभी खुदपे कभी हालत पे हँसी आई  याद आई बात तो, हर  बात पे     हँसी आई! उसने जब पूछा मेरे दुखी होने का सबब मेरे दुखी होने की वजाह पे मुझको  हँसी आई! हम तो समझे थे की बरसात में बरसेगी फिजां  आई बरसात तो मेरी समझ पे  हँसी आई!   जिन्दगी भर मैं  मौत से डरता रहा  आई जब मौत तो, जिद्गानी पे    हँसी आई

कुछ शेर_1

श्याम होते ही पंछि आसमान से जमीं पे उतर आते है जो शुकून जमीं पे मिलता है , आसमान में नहीं मिलता .                    ******** सुना है, आइना कभी झ्होथ नहीं बोलता फिर वो हशी के पीछे छुपा दर्द क्यूँ नहीं दिखाता?                    ********* आज कल वो ख्यालों में भी नहीं आते आखिर उनसे मिले तो कैसे मिले?               ******* उस गरीब के झोपडी में कई दिनों से दिया नहीं जला चलो आसमान से कुछ सितारे ला के उसके घर भेज दे                       **************            

थोड़ी सी समझ

थोड़ी सी समझ अगर मुझमें आ जाये तो! जो है पास उसी में  संतोष मिल जाये तो! ख़ुशी किसीको हमेशां कहाँ मिल पाती है ? मिली  जितनी , उसी से मन भर  जाये तो! हर कदम कहाँ सफलता मिल पाती है? आखिर में अपनी मंझिल मिल जाये तो! जिन्दगी भर जिसके लिए तरसता रहा  मौत के वक्त वो मेरे गले  लग  जाये तो! मोक्ष की कामना यहाँ  हर  किसी के दिल में  मुझ को इसी धरती  पर  स्वर्ग मिल जाये तो! तुषार खेर 

कहाँ जाऊं?

टूटे दिल का इलाज़ करने कहाँ जाऊं? जीने का सामान जुटाने कहाँ जाऊं? दौड़ती भागती इस दुनिया में  दो पल  शांति पाने  कहाँ जाऊं? हर कोई यहाँ स्पर्धा कर रहा है  मै  सहकार पाने  कहाँ जाऊं? नफ़रत की आग में हर  दिल जलें यहाँ  प्यार की शीतल छाया पाने  कहाँ जाऊं? मंदीर की मूरत में तो राम   मिला नहीं  मन के भीतर उसे तलाशने  कहाँ जाऊं? जिसे भी देखो वो अपने आप में गूम है  ऐसे में हमजुबां  पाने   कहाँ जाऊं?

राह -ऐ-गुजर

ज़िन्दगी की राह -ऐ-गुजर कुछ ऐसे कर रहा  हूँ । पता नहीं 'क्यूँ? ' फिर भी मै जिये  जा रहा हूँ ।। 'कहाँ से आया?' ' कहाँ  है जाना?' 'क्या तुझे है करना?' व्यर्थ ही ऐसे मुश्किल सवाल खुदसे किये  जा रहा हूँ । 'अन्त में साथ में कुछ नहीं है जाता सिवा अपने कर्मो के '  जानते हुंए ये, जैसे भी हो,  धन अर्जित    किये  जा रहा हूँ !   सुना है की 'कण कण में  है राम , अपने मन में भी है राम' । फिर भी मंदिर की मूरत में उसकी खोज   किये  जा रहा हूँ ।। ज़िन्दगी की राह -ऐ-गुजर कुछ ऐसे कर रहा  हूँ ! पता नहीं 'क्यूँ? ' फिर भी मै जिये  जा रहा हूँ !! तुषार खेर

एक तितली, रंग बिरंगी

एक तितली, रंग बिरंगी  दो दिनकी उसकी जिन्दगी  हसते   हसते वो  फिर भी  फूलों में प्यार बांटती गयी  सुगन्ध फ़ैलाने की  सिख   फूलों को   देती  गयी  एक तितली, रंग बिरंगी  जैसे मैंने हर रंग को अपनाया है  सुख दुःख के रंगों को अपनाना  जैसे मैंने अपने सौंदर्य से  कुदरत को है  सजाया  अपनी अच्छाई से आप  मानवता को सजाना  ऐसी उमदा  सिख  वो  मानव को देती गयी  एक तितली, रंग बिरंगी  मेरी  तरह आपकी भी  जिन्दगी है बहुत छोटी  प्यार मुहूबत बांटके  संवार लेना लोगो की जिन्दगी  इंसानों को प्यार भरी  सिख दे गयी एक तितली  दो दिन की जिसकी जिन्दगी 

मुझको क्या हो गया यारों ?

ये आज मुझको क्या हो गया यारों ? बरसो पुराना जख्म हरा हो गया यारों, अलफ़ाज़ मेरे गले में ही रुक गएँ यारों, और आँख से आंसू बहेने लगे यारों ! आसमान में काली घटा छाते ही  मन मेरा उधास हो गया यारों ! अंतरपट में कुछ ऐसी हालचल  हो रही यारों  जैसे झिलके पानी में चादनी झूलती  हो यारों। नहीं कुछ  ख्याल है और न ही कुछ  पता  मंजिल कहाँ है  और कहा है मुझे जाना  इस तरह मैं अब भटक रहां  हूँ यारों  जैसे खुशबूं फैले  हवा के संग  यारों! ये मेरी हालत कैसे कोई समझेगा यारों ? मैं  किस से पूछूं? कौन मुझे बतायेगा यारों? जितना सम्हलने की कोशिश करता हूँ  उतना ही मैं  लडखडा रहा हूँ यारों ! ऐसे में कौन आके मुझे सम्हालेगा यारों? ये आज मुझको क्या हो गया यारों ? बरसो पुराना जख्म हरा हो गया यारों, और आँख से आंसू बहेने लगे यारों !

पैसा

क्यूँ करते हो पैसा पैसा  क्या दे देगा तुमको पैसा? खाना खरीद लोगे पर  भूख दे पायेगा पैसा? गद्दा  खरीद लोगे  पर   नींद दे पायेगा पैसा? दवाई खरीद लोगे  पर स्वास्थ दे  पायेगा पैसा? किताब खरीद लोगे पर ज्ञान दे पायेगा पैसा? मकान खरीद लोगे  पर घर दे पायेगा पैसा? सुख के साधन खरीद लोगे  पर क्या सुख दे  पायेगा पैसा? भगवान् की मूर्ती खरीद लोगे पर  भक्ति दे पायेगा पैसा? क्यूँ करते हो पैसा पैसा  क्या दे देगा तुमको पैसा? तुषार खेर